गरीब सवर्णों को 10% आरक्षण देने वाला विधेयक राज्यसभा से भी पास, जानें आगे क्या होगा?
ये आरक्षण मौजूदा 49.5 फीसदी आरक्षण की सीमा के ऊपर होगा. इसी के लिए संविधान में संशोधन करना जरूरी था. आठ लाख सालाना आय और पांच हेक्टेयर तक ज़मीन वाले गरीब ही इसके दायरे में आएंगे.
नई दिल्ली: सामान्य श्रेणी के आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए सरकारी नौकरी और शिक्षण संस्थानों में 10 फीसदी आरक्षण देने वाला 124वां संविधान संसोधन विधेयक बुधवार को राज्यसभा से भी पास हो गया है. ये बिल मंगलवार को लोकसभा से पास हुआ था. राज्यसभा से पास होने के बाद अब इसे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा. राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ही ये बिल कानून बन पाएगा.
राज्यसभा में इस बिल के पक्ष में 165 वोट पड़े, वहीं विपक्ष में मात्र सात वोट पड़े. बता दें कि इस बिल को सेलेक्ट कमिटी के पास भेजने के खिलाफ 155 वोट पड़े थे. उपसभापति ने सदन को बताया कि बिल पर करीब 10 घंटे तक चर्चा हुई जबकि इसके लिए 8 घंटे का वक्त तय किया गया था.
विधानसभाओं से पास कराना जरूरी नहीं- जेटली ध्यान रहे कि संविधान संसोधन विधेयक को देश की 50 फीसदी विधानसभाओं से भी पास कराना होता है, लेकिन वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कल लोकसभा में कहा था, ‘’इस बिल को 50 फीसदी राज्य विधानसभा से मंजूरी की जरूरत नहीं है. संविधान में मूलभूत अधिकारों के प्रावधान के संबंध में ऐसी जरूरत नहीं पड़ती, पदोन्नति में आरक्षण के समय भी ऐसा ही हुआ था.’’
जानिए- क्या गरीब सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण का कानून अदालती समीक्षा में टिक पाएगा?
राज्यसभा में विपक्ष सहित लगभग सभी दलों ने इस विधेयक का समर्थन किया. कुछ विपक्षी दलों ने इस विधेयक को लोकसभा चुनाव से कुछ पहले लाए जाने को लेकर सरकार की मंशा और इस विधेयक के न्यायिक समीक्षा में टिक पाने को लेकर आशंका जताई. हालांकि सरकार ने दावा किया कि कानून बनने के बाद यह न्यायिक समीक्षा की अग्निपरीक्षा में भी खरा उतरेगा क्योंकि इसे संविधान संशोधन के जरिए लाया गया है. थावर चंद गहलोत ने विपक्ष से पूछे सवाल केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए इसे सरकार का एक ऐतिहासिक कदम बताया. उन्होंने कांग्रेस सहित विपक्षी दलों से यह पूछा कि जब उन्होंने सामान्य वर्ग को आर्थिक आधार पर आरक्षण दिये जाने का अपने घोषणापत्र में वादा किया था तो वह वादा किस आधार पर किया गया था. क्या उन्हें यह नहीं मालूम था कि ऐसे किसी कदम को अदालत में चुनौती दी जा सकती है. 49.5 फीसदी आरक्षण से नहीं होगी कोई छेड़छाड़- सरकार थावरचंद गहलोत ने कहा कि यह हमारी संस्कृति की विशेषता है कि जहां प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने एससी और एसटी को आरक्षण दिया वहीं पिछड़े वर्ग से आने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सामान्य वर्ग को आरक्षण देने की यह पहल की है. उन्होंने एसटी, एससी एवं ओबीसी आरक्षण को लेकर कई दलों के सदस्यों की आशंकाओं को निराधार और असत्य बताते हुए कहा कि उनके 49.5 प्रतिशत से कोई छेड़छाड़ नहीं की जा रही है. वह बरकरार रहेगा.10 फीसदी आरक्षण के फैसले के बारे में जानें ये आरक्षण मौजूदा 49.5 फीसदी आरक्षण की सीमा के ऊपर होगा. इसी के लिए संविधान में संशोधन करना जरूरी था. इसका लाभ ब्राह्मण, ठाकुर, भूमिहार, कायस्थ, बनिया, जाट और गुर्जर आदि को मिलेगा. हालांकि आठ लाख सालाना आय और पांच हेक्टेयर तक ज़मीन वाले गरीब ही इसके दायरे में आएंगे.
पूरी करनी होंगी ये शर्ते-
बता दें कि इस विधेयक के तहत सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण सुनिश्चित करने का प्रस्ताव किया गया है. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 7 जनवरी को इसे मंजूरी प्रदान की थी और इसे कल लोकसभा और आज राज्यसभा में पेश किया था, जहां ये विधेयक पास हो गया. इसी के साथ राज्यसभा की कार्यवाही भी अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई.
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