केंद्र की मजदूर नीतियों के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन आज, 10 मजदूर संगठनों ने किया है आह्वान
केंद्र सरकार की श्रम, औद्योगिक अन्य सरकारी नीतियों के खिलाफ दस केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने देशव्यापी सत्याग्रह आंदोलन का आह्वान किया है. राष्ट्रव्यापी सत्याग्रह आंदोलन में इंटक, एटक, एचएमएस, सीटू, एआईयूटीयूसी, टीयूसीसी, एसईडब्ल्यूए, एक्टू, एलपीएफ और यूटीयूसी ट्रेड यूनियनें शामिल हैं.
नई दिल्ली: सरकार की श्रमिक नीतियों के खिलाफ आज 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने देशव्यापी विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है. केंद्रीय ट्रेड यूनियन संगठनों ने एक साझा बयान में कहा कि नौ अगस्त को, 'भारत छोड़ो दिवस' को देश भर में सभी कार्यस्थलों, औद्योगिक केंद्रों, जिला मुख्यालयों और ग्रामीण क्षेत्रों में देशव्यापी सत्याग्रह, जेल भरो अभियान अथवा अन्य किसी जुझारू प्रदर्शन के रूप में ‘भारत बचाओ दिवस’ के रूप में मनाया जाना चाहिये.
श्रमिक विरोधी नीतियों के खिलाफ संघर्ष को आगे बढ़ाने का आह्वान इन 10 ट्रेड यूनियन संगठनों में इंटक, एटक, एचएमएस, सीटू, एआईयूटीयूसी, टीयूसीसी, एसईडब्ल्यूए, एक्टू, एलपीएफ और यूटीयूसी शामिल हैं. देश में 12 केंद्रीय ट्रेड यूनियन संगठन हैं. बयान में कहा गया है, "केंद्रीय श्रमिक संघों एवं महासंघों अथवा एसोसिएशन के साझा मंच ने, निरंतरता कायम रखने के साथ क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर सरकार की जनविरोधी, श्रमिक विरोधी नीतियों के खिलाफ संघर्ष को आगे बढ़ाने का आह्वान किया है."
इसने कहा कि 18 अगस्त 2020 को कोयला श्रमिकों की हड़ताल के दिन, जहां भी संभव हो सभी कार्यस्थलों और विशेष रूप से सार्वजनिक उपक्रमों में जुझारू एकजुटता प्रदर्शन की कार्रवाई और हड़ताल करने की संभावना को खोजा जाना चाहिये.
हड़ताल में शामिल होंगे आंगनवाड़ी, आशा, मिड डे मील के कर्मचारी रक्षा क्षेत्र के संघों और महासंघों ने संयुक्त रूप से 99 प्रतिशत से अधिक श्रमिकों द्वारा अनुमोदित हड़ताल प्रस्ताव के आधार पर साझा रूप से हड़ताल के लिए नोटिस देने की योजना बना रहे है. वे सितंबर 2020 के मध्य में किसी समय हड़ताल की कार्रवाई कर सकते हैं. बयान में कहा गया है कि स्कीम वर्कर्स यूनियनों और महासंघों (जिसमें आंगनवाड़ी, आशा, मध्यान्ह भोजन या मिड डे मील आदि के कर्मचारी शामिल हैं) ने संयुक्त रूप से सात और आठ अगस्त को दो दिन की हड़ताल पर जाने का फैसला किया है जो नौ अगस्त को देशव्यापी आंदोलन के साथ जुड़ेगा.
रेलवे के निजीकरण के खिलाफ देशव्यापी प्रचार अभियान नोटिस में कहा गया है कि रेलवे क्षेत्र के साथ यूनियनों/महासंघों के समन्वय में रेलवे के निजीकरण की सरकार की पहल के खिलाफ देशव्यापी प्रचार अभियान जारी रखने का भी निर्णय लिया गया है. रेलवे के कर्मचारी महासंघों ने बताया है कि वे भी उचित समय पर अपनी प्रतिक्रिया/कार्रवाई की योजना बना रहे हैं और इसके लिए तैयारी कर रहे हैं.
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