26/11 के 10 साल: वरिष्ठ पत्रकार विजय वैद्य के दिमाग में आज भी घूमती हैं हमले की भयावह तस्वीरें
विजय वैद्य ने याद करते हुए बताया, ‘‘सड़क की लाइटें बंद थीं. ताज आग की लपटों में घिरा था. पुलिस ने इलाके की घेराबंदी कर दी थी. होटल हमले में घायलों को बायकुला स्थित जे जे अस्पताल ले जाया जा रहा था."
मुम्बई: अंधाधुंध गोलियां चलने की आवाज, ताज होटल से निकलता धुआं, अस्पतालों में गोलियों से छलनी शव और मृतकों के रोते-बिलखते रिश्तेदार. विजय वैद्य के दिमाग में ये तस्वीरें आज भी घूमती हैं. आज 26/11 मुम्बई हमले के 10 साल बाद 78 वर्षीय वरिष्ठ पत्रकार विजय वैद्य ने सुरक्षाबलों की वीरता और मुंबईवासियों के जज्बे को याद किया. उस भयानक रात को ऑटोमैटिक हथियारों और ग्रेनेड से लैस 10 आतंकवादियों ने अंधाधुंध गोलीबारी की थी, बम विस्फोट किए थे और बेगुनाह लोगों को बंधक बना लिया था. हालांकि, सुरक्षा बलों की उनसे मुठभेड़ हुई जो कि अगले 60 घंटे तक चली.
हमले के समय घर पर थे विजय वैद्य उत्तर मुम्बई के बोरीवली उपनगर में रहने वाले विजय वैद्य ने कहा कि वह उस समय अपने घर पर थे जब उन्हें आतंकवादी हमले की जानकारी मिली. उन्होंने राज्य विधानसभा में उस समय विपक्ष के नेता रहे रामदास कदम को फोन किया और कदम के कांदिवली आवास से दोनों एकसाथ दक्षिण मुम्बई की ओर रवाना हुए. वैद्य ने कहा कि उन्होंने विले पार्ले में विस्फोट से क्षतिग्रस्त हुई एक टैक्सी देखी. वे दक्षिण मुम्बई में जीटी अस्पताल की ओर बढ़े जहां हमले में मारे गए पुलिसकर्मियों के शव रखे गए थे.
'अस्पताल का मंजर भयावह था' भाजपा नेता और वर्तमान में महाराष्ट्र के शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े, वैद्य और रामदास कदम के साथ हो लिये और वे ताज होटल के पास गेटवे आफ इंडिया की ओर बढ़े. वैद्य ने याद करते हुए बताया, ‘‘सड़क की लाइटें बंद थीं. ताज आग की लपटों में घिरा था. पुलिस ने इलाके की घेराबंदी कर दी थी. होटल हमले में घायलों को बायकुला स्थित जे जे अस्पताल ले जाया जा रहा था.’’ उन्होंने बताया कि जेजे अस्पताल का दृश्य काफी भयावह था क्योंकि वहां चारों तरफ लाशें थीं और उनके रिश्तेदार रो रहे थे. कई लोग रक्तदान के लिए अस्पताल में लाइन में खड़े थे.
'चारों तरफ अफरातफरी थी' गेटवे आफ इंडिया से तीनों कोलाबा स्थित नरीमन हाउस की ओर बढ़े जहां आतंकवादियों के छुपे होने का संदेह था. वैद्य ने बताया कि उनके अगले पड़ाव ओबरॉय होटल और नरीमन प्वाइंट पर अफरातफरी थी क्योंकि वहां पर भी आतंकवादी हमला हुआ था. सुरक्षा उद्देश्य से होटल परिसर की घेराबंदी कर दी गई थी. उन्होंने कहा कि 26/11 ने मुम्बई पुलिस के बारे में लोगों की धारणा बदल दी. उन्होंने कहा, ‘‘पुलिसकर्मियों ने जिस तरीके से प्रशिक्षित आतंकवादियों से मुकाबला किया लोग उन्हें नायक के तौर पर देखने लगे.’’
26/11 हमला भारत के इतिहास का सबसे भयंकर आतंकवादी हमला था. इसे देश की संप्रभुता पर एक हमले के तौर पर देखा गया और इससे समुद्री सुरक्षा तंत्र, गुप्तचर सूचनाएं इकट्ठा करने के तरीके में खामियां उजागर हुई थीं. इसके अलावा हमले से विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय की कमी भी सामने आई.