100 नामचीन मुस्लिम हस्तियों पर औवेसी का निशाना, पूछा- रिव्यू पिटीशन ध्रुवीकरण कैसे?
100 नामचीन मुस्लिम हस्तियों ने पुनर्विचार याचिका को ध्रुवीकरण को बढ़ावा देनेवाला बताया है ? जिसके जवाब में असददुद्दीन ओवैसी ने दो ट्वीट कर उनके विचारों पर हमला बोला है.
नई दिल्ली: अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद रिव्यू पिटीशन पर 100 नामचीन मुस्लिम शख्सियतों की राय पर हैदराबाद से सांसद असददुद्दीन ओवैसी ने तीखा हमला किया है. ओवैसी ने लगातार दो ट्वीट्स कर उन्हें निशाने पर लिया. उन्होंने पूछा कि पुनर्विचार याचिका से ध्रुवीकरण को कैसे बढ़ावा मिलेगा?
पहले ट्वीट में उन्होंने लिखा, "मैं नामचीन मुस्लिम नहीं हूं. पुनिर्विचार याचिका सुप्रीम कोर्ट के नियम के तहत मिला विकल्प है. इसलिए मैं सुप्रीम कोर्ट के सामने अपने अधिकार का उपयोग करने पर दृढ़ संकल्पित हूं. अगर सबरीमाला और एससी-एसटी मामले में पुनर्विचार याचिका से ध्रुवीकरण को मदद नहीं मिली तब बाबरी मस्जिद मामले में पुनर्विचार याचिका से ध्रुवीकरण को कैसे बढ़ावा मिलेगा ?
दूसरे ट्वीट में उन्होंने 2002 में गुजरात दंगों का हवाला दिया. दगों के बाद उन्होंने आरएसएस के बयान के हवाले से खिला,”बहुसंख्यकों की साख में वास्तविक सुरक्षा है. हम गैर सांप्रदायिक बहुसंख्यक की सहानुभूति और साख हासिल करना चाहते हैं. हमारा संविधान इंसाफ को सुनिश्चित बनाता है. हम इंसाफ चाहते हैं ना कि सद्भाव".
ओवैसी के दो ट्वीट के पीछे निशाने पर कौन ?
इससे पहले, हिंदुस्तान की 100 नामचीन मुस्लिम हस्तियों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करने का विरोध किया था. फिल्म कलाकार नसीरुद्दीन शाह, शबाना आजमी, लेखक हसन कमाल, पत्रकार जावेद आनंद जैसे लोगों ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के फैसले पर आपत्ति जताई थी. उन्होंने भारतीय मुस्लिम समुदाय की नाखुशी को जाहिर किया था. उन्होंने पुनिर्विचार याचिका को मुस्लिम समुदाय के लिए फायदेमंद नहीं बताया था. उनका कहना था कि इससे अयोध्या विवाद जिंदा रहेगा. जावेद आनंद कहते हैं," मुस्लिमों को मंदिर-मस्जिद विवाद से बाहर आना चाहिए. क्योंकि इससे आरएएस को भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने में मदद मिलेगी.
बयान पर हस्ताक्षरकर्ताओं ने माना कि विवाद के जारी रहने से मुस्लिम विरोध और इस्लामोफोबिया को बढ़ावा पहुंचेगा और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करने में मदद मिलेगी. अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो मुस्लिम को लाखों गैर सांप्रदायिक बहुसंख्यकों का सद्भाव प्राप्त होगा. हस्ताक्षरकर्ताओं ने कहा कि पुनर्विचार याचिका से वापस हटना मुस्लिम समुदाय और देश हित में होगा.
पिछले हफ्ते लखनऊ में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार दायर करने का एलान किया था.
आपको बता दें कि बीते 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में अयोध्या की विवादित जमीन हिंदू पक्ष को देने का फैसला सुनाया था. इसके साथ ही मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ जमीन अयोध्या में देने का आदेश दिया था.