नई दिल्ली: कभी ना रुकने वाले शहर मुंबई को आज से ठीक दस साल पहले हुए आतंकी हमले ने कैद कर लिया था. आज 10 साल बाद मुंबई पहले ही जैसी है लेकिन उसके जख्म हरे हैं क्योंकि हमले के दस साल बाद भी मास्टर माइंड हाफिज सईद और जकीउर्रहमान लखवी आज भी पाकिस्तान में खुला घुम रहा हैं.


26/11 की बरसी पर अमेरिका से आया बड़ा बयान
मुंबई हमले की 10वीं बरसी पर अमेरिका की तरफ से बड़ा बयान आया है. अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा, ''हमले के दोषियों का अब तक न पकड़ा जाना अपनों को खोने वालों का अपमान है. सभी देशों और खासकर पाकिस्तान की जिम्मेदारी है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रस्ताव के तहत वो इस हमले के दोषियों को सजा दिलवाए.''





मुंबई आतंकी हमले के गुनहगारों पर अमेरिका ने बढ़ाया इनाम भी बढ़ा दिया है. अमेरिकी विदेश मंत्री ने एलान किया, ''26/11 हमले की साजिश से जुड़े हाफिज सईद, जकीउर्रहमान लखवी को पकड़वाने पर 50 लाख डॉलर यानी करीब 35 करोड़ रुपये का इनाम दिया जाएगा.''


राष्ट्रपति ने शहीदों और मृतकों को याद किया
26/11 हमले की दसवीं बरसी के मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मृतकों और शहीदों को याद किया है. राष्ट्रपति ने ट्वीट किया, ''आज से दस वर्ष पहले मुंबई में हुए आतंकी हमलों से संतप्त व्यक्तियों और परिवारों को हम याद करते हैं. अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले पुलिस और सुरक्षा कर्मियों को हमारा नमन. न्याय को सुनिश्चित करने और आतंकवाद को परास्त करने के लिए भारत पूर्णतया प्रतिबद्ध है.''





मुंबई के शहीदों की याद में देश भर में कार्यक्रम
मुंबई हमले में शहीद हुए जवानों को देश हर साल याद करता है, इस बार भी इस मौके पर मैराथन समेत कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है, मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस भी आज मुंबई हमले के शहीदों को श्रद्धांजलि देंगे. एबीपी न्यूज़ पर आज दिन भर 26/11 हमले को लेकर बड़ी कवरेज जारी रहेगी.


26/11 हमले ने देश को झकझोर दिया
26/11 का हमला भारत की धरती पर सबसे भीषण हमलों से एक है. 26 नवम्बर, 2008 को भारी हथियारों से लैस 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों ने कराची से समुद्री रास्ते से होकर नाव से मुम्बई में प्रवेश किया था. इन आतंकवादियों ने छत्रपति शिवाजी रेलवे टर्मिनस, ताजमहल होटल, ट्राइडेंट होटल और एक यहूदी केंद्र पर हमला किया था. ये सभी देश की औद्योगिक राजधानी मुम्बई के प्रमुख स्थल हैं.


करीब 60 घंटे चले इस हमले में 166 से अधिक लोग मारे गए थे और 300 से अधिक लोग जख्मी हो गए थे. मरने वालों में 28 विदेशी नागरिक भी शामिल थे. इस हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया था और भारत और पाकिस्तान युद्ध की कगार पर आ गए थे.