नई दिल्ली: करीब डेढ़ महीने बाद भारत और चीन के कोर कमांडर्स पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर पूरी तरह से तनाव खत्म करने के लिए एक बार फिर शुक्रवार को मिलने जा रहे हैं. ये मुलाकात एलएसी से सटे चुशूल में भारत की तरफ होगी. करीब एक साल से पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर चल रहे टकराव में ये ग्यारहवें दौर की वार्ता है. आखिरी मीटिंग 20 फरवरी को हुई थी.


भारतीय सेना की तरफ से लेह स्थित 14वीं कोर (फायर एंड फ्यूरी कोर) के कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन नेतृत्व करेंगे, जबकि चीन की तरफ से पीएलए-सेना के दक्षिणी झिंगज्यांग डिस्ट्रिक के कमांडर नेतृत्व करेंगे. भारत के कहने पर ये मीटिंग बुलाई गई है जो एलएसी पर पूर्वी लद्दाख के चुशूल बीपीएम-हट में होगी. मीटिंग सुबह 10.30 बजे शुरू होगी.


इस पर होगी बातचीत


इसी साल 24 जनवरी को हुई नौवें दौरे की मीटिंग के बाद दोनों देशों ने पैंगोंग त्सो लेक से सटे इलाकों से डिसइंगेजमेंट कर लिया है लेकिन अभी कुछ विवादित इलाकों में डिसइंगेजमेंट के साथ साथ पूरी तरह से डि-एस्कलेशन होना बाकी है. इसी पर कल दोनों देशों के सैन्य कमांडर्स बातचीत करेंगे. मीटिंग में दोनों देशों के डिप्लोमेट भी मौजूद रहेंगे. शुक्रवार को होने वाली ग्यारहवें दौर की मीटिंग का एजेंडा डिसइंगेजमेंट और डि-एस्कलेशन होगा यानि दोनों देशों के सैनिक एलएसी से पीछे हट जाएं और सैनिकों की तादाद भी कम कर दी जाए.


ये डिसइंगेजमेंट गोगरा, हॉट-स्प्रिंग, डेपसांग प्लेन्स और डेमोचक जैसे विवादित इलाकों में किया जाना है. एक अनुमान के मुताबिक, पूर्वी लद्दाख से सटी 826 किलोमीटर लंबी एलएसी यानि लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर दोनों देशों ने करीब एक-एक लाख सैनिकों को अभी भी तैनात किया हुआ है. इसके अलावा बड़ी तादाद में टैंक, तोप, आईसीवी और मिसाइलों को भी यहां तैनात किया हुआ है. इसके अलावा पूरी एलएसी से सैनिकों की तैनाती को कम करना भी है यानी डि-एस्किलेशन भी है.


आपको बता दें कि एलएसी पर एशिया की दो महाशक्तियों के बीच टकराव को पूरा एक साल हो गया है. पिछले साल यानि 5-6 अप्रैल 2020 को ही एलएसी के पैंगोंग-त्सो झील से सटे फिंगर एरिया में दोनों देशों के बीच पहली बार झड़प हुई थी. उसके बाद 15-16 जून को गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई खूनी झड़प में भारत के 20 जवान वीरगति को प्राप्त हो गए थे. चीन को भी हालांकि एक बड़ा नुकसान हुआ था, लेकिन चीन ने कभी इस बात का खुलासा नहीं किया कि उसके कितने सैनिक हताहत हुए हैं. इसके बाद से ही दोनों देशों के बीच संबंध बेहद तल्ख हो गए थे.


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