नई दिल्ली: मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल का काम संभालते ही पूरी तरह एक्शन में है. इसका उदाहरण आज वित्त मंत्रालय के फैसले से देखने को मिला. वित्त मंत्रालय ने आज 12 वरिष्ठ अधिकारियों को अनिवार्य रिटायरमेंट देकर हटा दिया. जिन अधिकारियों को रिटायर किया गया है उनमें चीफ कमिश्नर, प्रिंसिपल कमिश्नर और कमिश्नर स्तर के अधिकारी हैं. इन अधिकारियों को डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड एडमिनिस्ट्रेटिव रिफॉर्म्स के नियम 56 के तहत हटाया गया है.





मीडिया रिपोर्ट्स मुताबिक मंत्रालय इन अधिकारियों के कामकाज से संतुष्ट नहीं था. इसके साथ ही कुछ अधिरकारियों पर कथित तौर पर भ्रष्टाचार, अवैध और बेहिसाब संपत्ति के अलावा यौन शोषण जैसे गंभीर आरोप भी थे. जिन अधिकारियों को हटाया गया है उनमें अशोक अग्रवाल (आईआरएस 1985), एसके श्रीवास्तव (आईआरएस 1989), होमी राजवंश (आईआरएस 1985), बीबी राजेंद्र प्रसाद, अजॉय कुमार सिंह, बी अरुलप्पा, आलोक कुमार मित्रा, चांदर सेन भारती, अंडासु रवींद्र, विवेक बत्रा, स्वेताभ सुमन और राम कुमार भार्गव शामिल हैं.


नियम 56 क्या कहता है?
नियम 56 के मुताबिक जिन अधिकारियों की उम्र 50 से 55 साल के बीच है और इसके साथ ही वे अपने सेवा कार्यकाल का तीस पूरा कर चुके हैं उन्हें अनिर्वाय रिटायरमेंट दिया जा सकता है. इस नियम के इस्तेमाल के पीछे सरकार का मकसद सुस्त और छवि खराब करने वाले अधिकारियों को हटाना होता है. दरसअल अधिकारियों को अनिवार्य रिटायरमेंट देने वाला यह नियम बहुत पहले से मौजूद है लेकिन इसका इस्तेमाल पहली बार किया गया है. बता दें कुच मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि आने वाले समय में कुछ और अधिकारियों पर नियम 56 का डंडा चल सकता है,