'पूर्वांचल में भाजपा ने तय किए BSP प्रत्याशी'- चुनाव में हार के बाद ओपी राजभर का नया आरोप
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने 2017 में बीजेपी से समझौते के बाद पहली बार विधानसभा चुनाव में जीत का स्वाद चखा था. तब आठ सीटों में से चार सीटों पर सुभासपा को जीत मिली थी.
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी गठबंधन में शामिल पूर्व मंत्री ओमप्रकाश राजभर के नेतृत्व वाली सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) ने छह सीटों पर जीत दर्ज की. सपा के गठबंधन से सुभासपा राज्य की 18 विधानसभा सीटों पर चुनाव मैदान में थी. अब चुनाव में हार के बाद ओपी राजभर ने नया आरोप लगाया है. उन्होंने दावा किया है कि पूर्वांचल की 122 सीटों पर उम्मीदवारों के नामों का फैसला भाजपा कार्यालय में हुआ, जबकि बसपा कार्यालय में चुनाव चिन्ह दिए गए.
ओपी राजभर ने कहा, "हमने विधानसभा चुनाव की समीक्षा करने का फैसला किया है. रिपोर्ट के आधार पर हम अपनी कमियों पर काम करने की कोशिश करेंगे. दूसरी बात ये है कि बीएसपी और बीजेपी का मेल हो गया है, जो यूपी में बड़ा खेल हो गया. पूर्वांचल की 122 सीटें ऐसी हैं जिन पर भाजपा कार्यालय में उम्मीदवारों का फैसला किया गया और बसपा कार्यालय में चुनाव चिन्ह दिए गए. मैं इसके सबूत दे सकता हूं. चाहे वह बसपा हो या कांग्रेस, 4 बार सत्ता में रहने वाली पार्टियों ने बीजेपी का समर्थन किया. उनका वोट कहां गया?"
"पहले चरण से पता था कि हम हार रहे हैं"
इससे पहले ओम प्रकाश राजभर ने कहा था कि उन्हें पहले चरण के बाद ही उनकी हार का एहसास हो गया था, लेकिन उन्होंने चुप रहना चुना, 'एक डॉक्टर की तरह, जो एक मरीज के परिवार को कभी नहीं बताता कि वह मरने वाला है, लेकिन वह वास्तव में मर जाता है.' राजभर ने कहा कि गठबंधन मतदाताओं के दिमाग को पढ़ने में विफल रहा है. उन्होंने कहा, "मैं उस समय हारने की बात कैसे कर सकता था, क्योंकि 6 चरण और बाकी थे."
बता दें, 2017 के विधानसभा चुनाव में सुभासपा ने बीजेपी के साथ मिलकर आठ सीटों पर चुनाव लड़ा था और चार सीटों पर जीत मिली थी. इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व की भाजपा सरकार में ओमप्रकाश राजभर ने कैबिनेट मंत्री की शपथ ली थी. हालांकि, कुछ ही महीनों बाद भाजपा से उनकी अनबन शुरू हो गई. 2019 में राजभर ने भाजपा से विद्रोह कर दिया और मंत्री पद छोड़ने के बाद वह लगातार विरोधी तेवर अपनाए रहे. इस बार विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया.
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