नई दिल्लीः उच्च शिक्षण संस्थाओं में नियुक्तियों में आरक्षण संबंधी रोस्टर प्रणाली के मुद्दे पर विपक्ष ने सरकार से तत्काल विधेयक लाने की मांग की और सरकार ने नौकरियों में सभी वर्गों के आरक्षण को किसी भी कीमत पर आंच नहीं आने देने का वादा किया. सरकार के जवाब से असंतुष्ट विपक्ष के हंगामे के कारण राज्यसभा की बैठक दोपहर दो बजे तक के लिये स्थगित कर दी गई.
पहली बार के स्थगन के बाद 11 बजकर 20 मिनट पर सदन की बैठक शुरु होने पर राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू की ओर से दी गई व्यवस्था के अनुसार, उच्च शिक्षण संस्थाओं में नियुक्तियों में आरक्षण संबंधी रोस्टर प्रणाली के मुद्दे पर शून्यकाल में संक्षिप्त चर्चा की गई. जिन सदस्यों ने इस मुद्दे पर नोटिस दिए थे, उन्होंने इस विषय पर अपनी बातें रखी.
इस मुद्दे को उठाते हुये सपा के रामगोपाल यादव ने 200 सूत्रीय रोस्टर प्रणाली के बजाय 13 सूत्रीय रोस्टर प्रणाली से अनुसूचित जाति और जनजाति के लिये उच्च शिक्षण संस्थाओं में नियुक्तियों में आरक्षण न के बराबर होने की बात कही. उन्होंने आरक्षण संबंधी नयी रोस्टर प्रणाली से उपजे इस संकट से निपटने के लिये सरकार से तत्काल विधेयक लाने की मांग की.
चर्चा के जवाब में मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण के लिए प्रतिबद्धता जाहिर करते हुए कहा कि इस मुद्दे पर सरकार पुनरीक्षण याचिका दायर करेगी और उसे उच्चतम न्यायालय से न्याय मिलने की उम्मीद है.
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के स्थान पर विभाग को इकाई मानने की व्यवस्था में सरकार की कोई भूमिका नहीं है बल्कि ऐसा अदालत के आदेश पर हुआ है. उन्होंने कहा कि नयी व्यवस्था की समीक्षा के लिए सरकार ने विशेष अनुमति याचिका न्यायालय में दाखिल की थी और इस पर अच्छी पैरवी भी हुई है.
जावड़ेकर ने कहा, ''सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखने के लिए हमने सभी विश्वविद्यालयों की रोस्टर प्रणाली के बारे में जानकारी हासिल की. हम पुनरीक्षण याचिका दाखिल करेंगे ओर उम्मीद है कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों को न्याय मिलेगा.''
मंत्री के जवाब पर विपक्षी सदस्यों ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि इस संबंध में तत्काल विधेयक लाया जाना चाहिए. एसपी और बीएसपी के सदस्य आसन के समक्ष आ कर सरकार के खिलाफ नारे लगाने लगे. सभापति नायडू ने सदस्यों से शांत रहने और कार्यवाही चलने देने की अपील की. लेकिन हंगामा थमते न देख उन्होंने 11 बज कर करीब 35 मिनट पर बैठक दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी.
चर्चा के दौरान रामगोपाल यादव ने दलील दी कि इस व्यवस्था में अनुसूचित जनजाति को पूरी तरह उपेक्षित कर दिया गया है. इसके तहत 9 पद सामान्य श्रेणी के लिए, तीन पद अनुसूचित जाति के लिए और एक पद अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित होगा. उन्होंने कहा, ''ऐसे में सवाल यह उठता है कि अनुसूचित जनजाति के लोग आखिर कहां जाएंगे.''
उच्च शिक्षण संस्थाओं में नियुक्तियों में आरक्षण संबंधी रोस्टर प्रणाली के मुद्दे पर रामगोपाल यादव ने तत्काल विधेयक लाए जाने की मांग की. उन्होंने कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लोगों को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने के लिए सरकार की ओर से केवल 48 घंटे के अंदर विधेयक लाया गया. ''उच्च शिक्षण संस्थाओं में नियुक्तियों में आरक्षण संबंधी रोस्टर प्रणाली के मुद्दे पर भी तत्काल विधेयक लाया जाए क्योंकि यह भी अत्यंत गंभीर मुद्दा है.''
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