नई दिल्ली: कोरोना की दूसरी लहर जब अपने चरम पर थी तब पूर देश में हाहाकार मचा था. उस दौरान सबसे ज्यादा दिक्कत ऑक्सीजन की कमी को लेकर हुई थी. ऑक्सीजन की कमी की वजह से कई जानें भी गईं लेकिन सरकार ने ऐसे किसी भी आंकड़े से इनकार दिया. ऑक्सीजन की कमी का मुद्दा हाल ही में संसद में भी उठा था. विपक्ष ने इस मुद्दे पर सरकार को जमकर घेरा था.
इसके बाद केंद्र ने ऐसे मौतों पर राज्यों से आंकडा मांग. अब 13 राज्यों ने केंद्र सरकार को रिपोर्ट भेजी है. इनमें से 12 राज्यों ने भी साफ इनकार कर दिया है कि उनके यहां ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत नहीं हुई. इनमें महाराष्ट्र भी शामिल है. वहीं सिर्फ पंजाब ने चार संदिग्ध मौत की बात माानी है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा, ''जब संसद में यह प्रश्न उठाया गया तब राज्यों से स्पष्ट तौर पर यह प्रश्न पूछा गया और अबतक प्राप्त रिपोर्टों के मुताबिक केवल एक राज्य ने संदिग्ध मौत की जिक्र किया है तथा किसी भी अन्य राज्य ने अबतक नहीं कहा है कि ऑक्सीजन की कमी से मौतें हुई हैं. ''
किन किन राज्यों ने सरकार को भेजा आंकड़ा
सूत्रों के अनुसार अरूणाचल प्रदेश, असम, ओड़िशा, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर, लद्दाख, झारखंड , हिमाचल प्रदेश और पंजाब समेत 13 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों ने जवाब दिया है. उन्होंने बताया कि केवल पंजाब ने कहा है कि ऑक्सीजन की कमी के चलते चार ‘संदिग्ध’ मौतें हुईं.
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि केंद्र ने हाल में राज्यों एवं केद्रशासित प्रदेशों से इस साल के प्रारंभ में कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों पर आंकड़ा मांगा था और यह सूचना एकत्र करके 13 अगस्त को मानसून सत्र के समाप्त हो जाने से पहले संसद में पेश किया जाना था.
केंद्र सरकार ने कहा था- हमारा पास आंकड़ा नहीं, राज्यों ने नहीं दी जानकारी
राज्यसभा में 20 जुलाई को जब प्रश्न किया गया था कि क्या दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी से सड़कों एवं अस्पतालों में बड़ी संख्या में कोविड-19 मरीजों की मौतें हुई, तब उसके लिखित उत्तर में स्वास्थ्य राज्यमंत्री भारती प्रवीण पवार ने कहा था कि स्वास्थ्य राज्य का विषय है.
पवार ने कहा था, '' मौतों की रिपोर्ट करने के लिए विस्तृत दिशानिर्देश केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को जारी किये गये हैं. उसी के अनुसार राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेश नियमित आधार पर मामलों एवं मौतों का रिपोर्ट करते हैं. लेकिन राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा भेजी गयी रिपोर्ट के अनुसार कोई भी मौत सिर्फ ऑक्सीजन की कमी के चलते नहीं हुई. ''
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