13 साल पहले करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी कर भागे थे दो आरोपी, अब चढ़े CBI के हत्थे
सीबीआई प्रवक्ता आरसी जोशी के मुताबिक बैंक से धोखाधड़ी कर भागे जिन दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है उनके नाम अंकुर अग्रवाल और वीना अग्रवाल हैं. सीबीआई प्रवक्ता के मुताबिक इन दोनों को 13 साल बाद गिरफ्तार किया गया है.
नई दिल्ली: कानून के हाथ बहुत लंबे होते हैं और आरोपी उनसे बहुत दिनों तक नहीं भाग सकता, सीबीआई ने एक बार फिर यह कहावत सही साबित कर दी है. सीबीआई ने करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी कर भागे दो आरोपियों को मामला दर्ज होने के 13 सालों बाद गिरफ्तार किया है. दिलचस्प है कि बैंक से धोखाधड़ी करने के बाद दोनों आरोपी आम जनता का करोड़ों रुपया लेकर भाग गए और उसी पैसे पर ऐश करते रहे और सीबीआई उन की तलाश में जगह-जगह छापेमारी करती रही.
सीबीआई प्रवक्ता आरसी जोशी के मुताबिक बैंक से धोखाधड़ी कर भागे जिन दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है उनके नाम अंकुर अग्रवाल और वीना अग्रवाल हैं. सीबीआई प्रवक्ता के मुताबिक इन दोनों को 13 साल बाद गिरफ्तार किया गया है और दोनों को अब सीबीआई की विशेष कोर्ट के सामने पेश किया जा रहा है. मामले के मुताबिक पंजाब नेशनल बैंक ने साल 2008 में सीबीआई को शिकायत दी थी. इस शिकायत में बताया गया था कि बैंक को आरोपियों के जरिए फर्जी दस्तावेजों के आधार पर 6 करोड़ 28 लाख रुपये का चूना लगाया गया था. आरोप के मुताबिक आरोपियों ने जो दस्तावेज बैंक में लोन लिए जाने के बदले दिए थे, वह सारे दस्तावेज एक के बाद एक फर्जी पाए गए. सीबीआई ने 14 नवंबर 2008 को इस मामले में तीन लोगों की नामजद के साथ अन्य अज्ञात आरोपियों के खिलाफ विभिन्न आपराधिक धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया था.
एक साल तक जांच
दिलचस्प यह है कि सीबीआई ने इस मामले में लगातार एक साल तक जांच की और 30 अक्टूबर 2009 को मामले की व्यापक जांच के बाद दिल्ली के मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत में अपना आरोपपत्र दाखिल भी कर दिया था. इस मामले का सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि मामले के दो मुख्य आरोपी अंकुर अग्रवाल और वीणा अग्रवाल मामला दर्ज होने के फौरन बाद ही भाग गए थे. सीबीआई लगातार उनकी तलाश में जगह-जगह छापेमारी करती रही लेकिन दोनों सीबीआई के हत्थे नहीं चढ़े. इस बीच कोर्ट ने दोनों के खिलाफ ओपन वारंट भी जारी कर दिया. कोर्ट के जरिए ओपन वारंट जारी किए जाने का मतलब होता है कि जिस आरोपी के खिलाफ वारंट जारी किया गया है उसे देश या विदेश कहीं भी कभी भी गिरफ्तार किया जा सकता है.
सीबीआई का आरोपपत्र कोर्ट के सामने आरोपियों के अभाव में लटका रहा और दोनों आरोपी सीबीआई के हत्थे नहीं चढ़े. सीबीआई के एक आला अधिकारी ने बताया कि 13 वर्ष बीत जाने के बाद अचानक सीबीआई को सूचना मिली की बैंक से करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी कर भागे दोनों आरोपी देखे गए हैं. सूचना के आधार पर सीबीआई ने तुरंत कार्रवाई की और अंकुर अग्रवाल और वीणा अग्रवाल को गिरफ्तार कर लिया. अब सीबीआई जानना चाहती है कि 13 वर्ष की लंबी फरारी के दौरान यह लोग कहां-कहां रहे और इन्हें अपने खिलाफ कानून के जरिए उठाए जा रहे कदमों का कैसे पता चला. सीबीआई जानना चाहती है कि इस फरारी के दौरान किन-किन लोगों ने इनकी मदद की थी. फिलहाल मामले की जांच जारी है.
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