नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में 24 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में होने वाली एक उच्च स्तरीय बैठक में शामिल होने के लिए जम्मू-कश्मीर के 14 नेताओं को शनिवार को आमंत्रित किया गया, जिसमें तत्कालीन राज्य के चार पूर्व मुख्यमंत्री भी शामिल हैं. उम्मीद है कि इस बैठक में वहां विधानसभा चुनाव कराने की रूपरेखा तय होगी.


आठ राजनीतिक दलों - नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी), पीडीपी, बीजेपी, कांग्रेस, जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी, माकपा, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस और जम्मू कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी के इन नेताओं को गुरुवार को दोपहर 3 बजे प्रधानमंत्री आवास पर होने वाली बैठक में शामिल होने के लिए केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने टेलीफोन करके आमंत्रित किया.


यह पांच अगस्त 2019 के बाद प्रधानमंत्री के साथ जम्मू कश्मीर के सभी राजनीतिक दलों के साथ होने वाली पहली बैठक होगी जब केंद्र ने जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त कर दिया था और उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया था. पूर्ववर्ती राज्य में नवम्बर 2018 से केंद्र का शासन है.


अधिकारियों ने कहा कि केंद्र केंद्र शासित प्रदेश में जल्द से जल्द विधानसभा चुनाव कराने का इच्छुक है, जो या तो दिसंबर में या अगले साल मार्च में होने की संभावना है, जब न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) आर देसाई की अध्यक्षता वाला परिसीमन आयोग अगले कुछ महीने में निर्वाचन क्षेत्रों को फिर से निर्धारित करने का अपना काम पूरा कर लेगा. आयोग को इस साल मार्च में एक साल का विस्तार दिया गया था.


अधिकारियों ने कहा कि सभी नेताओं को एक कोविड​​-19 नेगेटिव रिपोर्ट के साथ आने के लिए कहा गया है. आमंत्रितों में चार पूर्व मुख्यमंत्री - नेशनल कांफ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती शामिल हैं.


संपर्क किये जाने पर उमर अब्दुल्ला ने कहा कि उन्हें निमंत्रण मिला है और वह पार्टी के निर्देश पर चलेंगे. नेशनल कांफ्रेंस के सूत्रों ने कहा कि फारूक अब्दुल्ला बैठक में हिस्सा लेने के बारे में पार्टी नेताओं के साथ विचार-विमर्श करेंगे.


सम्पर्क किये जाने पर पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा कि वह आगे के कदम पर निर्णय करने के बारे में रविवार को पार्टी के भीतर चर्चा करेंगी. तत्कालीन राज्य के चार पूर्व उपमुख्यमंत्रियों - कांग्रेस नेता तारा चंद, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के नेता मुजफ्फर हुसैन बेग और बीजेपी नेताओं निर्मल सिंह और कवींद्र गुप्ता को भी बैठक में आमंत्रित किया गया है.


इसके अलावा, माकपा नेता मोहम्मद यूसुफ तारिगामी, जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी (जेकेएपी) प्रमुख अल्ताफ बुखारी, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के सज्जाद लोन, जम्मू कश्मीर कांग्रेस प्रमुख जी ए मीर, भाजपा के रवींद्र रैना और पैंथर्स पार्टी के नेता भीम सिंह को भी बैठक के लिए आमंत्रित किया गया है.


कांग्रेस और माकपा ने भी कहा है कि वे अपने-अपने दलों के भीतर विचार-विमर्श के बाद बैठक में भाग लेने का फैसला करेंगे. भाजपा की जम्मू-कश्मीर इकाई के अध्यक्ष रैना ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि बैठक में आमंत्रित सभी नेता "महत्वपूर्ण" विचार-विमर्श में भाग लेंगे.


उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा बुलाई गई बैठक विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रमुखों की इच्छा के अनुसार है जो उनसे समय मांग रहे थे और लंबे समय से इस तरह की बैठक की मांग कर रहे थे.


यह बैठक केंद्र द्वारा अगस्त 2019 में जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को निरस्त करने की घोषणा और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजन करने के बाद इस तरह की पहली कवायद होगी. इस बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और अन्य केंद्रीय नेताओं के भी भाग लेने की संभावना है.


बैठक उस अनौपचारिक बातचीत का परिणाम है जो कि केंद्र शासित प्रदेश के सभी राजनीतिक दलों के साथ अगले कदम पर निर्णय लेने के लिए हो रही थी जिसमें विधानसभा चुनाव कराने के साथ ही जम्मू कश्मीर के राज्य का दर्जा बहाल करना शामिल है.


केंद्रीय गृह मंत्री ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 2019 को संसद में पेश करते हुए आश्वासन दिया था कि केंद्र उचित समय पर जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा प्रदान करेगा.


यह वार्ता केंद्र शासित प्रदेश में जिला विकास परिषद के चुनाव के सात महीने बाद हो रही है. पिछले साल हुए जिला विकास परिषद के चुनाव में, पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकर डिक्लेरेशन (पीएजीडी) ने भाजपा और उसके सहयोगियों से आगे बढ़कर 280 में से 110 सीटों पर जीत हासिल की थी और नेशनल कांफ्रेंस गठबंधन के भीतर 67 सीटों के साथ मजबूत बनकर उभरी थी. भाजपा 75 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी थी.


पीएजीडी जम्मू कश्मीर में छह पार्टियों का गठबंधन समूह है जो केंद्र के अगस्त 2019 के फैसलों के बाद बनाया गया था.


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