नई दिल्ली: भारत में खुली हवा में सांस लेना मुश्किल हो गया है, डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट में चिंताजनक बात सामने आई है. डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के 15 प्रदूषित शहरों में 14 शहर भारत के हैं. इस लिस्ट में उत्तर प्रदेश का शहर कानपुर सबसे ऊपर है. लिस्ट में कानपुर के बाद क्रमश: फरीदाबाद, वाराणसी, गया, पटना, मुजफ्फरपुर, दिल्ली, लखनऊ, आगरा, मुजफ्फरपुर, श्रीनगर, गुड़गांव, जयपुर, पटियाला और जोधपुर शामिल है.
डब्लूएचओ के आंकड़ों के मुताबिक वाराणसी दुनिया का तीसरा सबसे प्रदूषित शहर है. हालांकि वाराणसी के पर्यावरण कार्यकर्ता काफी समय पहले से आंकड़े जारी कर इस स्थिति के बारे में बता रहे थे. लिस्ट में हैरान करने वाली बात है कि ज्यादातर शहर उत्तर भारत के हैं. इस लिस्ट में कानपुर जहां पहले नंबर पर है वहीं देश की राजधानी दिल्ली छठें स्थान पर आई है.
प्रदूषण मापने की इस रिपोर्ट में 10 और पीएम 2.5 के स्तर को शामिल किया गया है. इस लिस्ट में प्रदूषण का स्रोत पार्टिकुलेट मैटर यानी पीएम को माना गया है. राजधानी दिल्ली की हालत भी बहुत खराब है. दिल्ल में पीएम 2.5 का लेवल 143 मापा गया जोकि सामान्य से तीन गुना ज्यादा है, पीएम 10 के औसत के मापदंड पर देखें तो ये दिल्ली में 292 मापा गया जो कि सामान्य से साढ़े चार गुना ज्यादा है.
कानपुर में PM 2.5 का लेवल 173 मापा गया जो कि खतरे के स्तर से ऊपर है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में पीएम 2.5 का लेवल 292 मापा गया.
ग्रीनपीस इंडिया ने कहा कि वाराणसी में वायु प्रदूषण के स्रोतों की सही सही निशानदेही संभव नहीं है क्योंकि इस मामले में कोई आधिकारिक अध्ययन नहीं है.
बहरहाल, आईआईटी कानपुर के अध्ययन के अनुसार सिंगरौली के बिजली संयंत्र का उत्सर्जन एक संभावित कारण हो सकता है. यह संयंत्र वाराणसी से करीब 100 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है. 300 किलोमीटर के दायरे में स्थित बिजली संयंत्र वायु गुणवत्ता पर बुरा असर डाल सकते हैं.
पटना : पीएम 10 और पीएम 2.5 के स्तरों दोनों के मामले में दुनिया में पांचवा सबसे प्रदूषित शहर है, विशेषज्ञों का कहना है कि परिवहन, सड़क की धूल, घरेलू स्रोत, जनरेटर सेट, खुले में कचरा जलाना, विनिर्माण उद्योग, ईंट भट्टे और भवन निर्माण गतिविधियों के चलते यहां वायु प्रदूषण की यह स्थिति है.