Delhi High Court: दिल्ली हाईकोर्ट ने एक 14 साल की गर्भवती लड़की को बाल गृह में भेजे जाने का आदेश पारित किया. लड़की ने अपने साथ यौन अपराध होने के बाद अपनी गर्भावस्था खत्म करने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था लेकिन बाद में मेडिकल परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए उसने बच्चे को जन्म देने का फैसला किया. 


1 जून को पारित किए गए आदेश में दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरु तेग बहादुर अस्पताल को एक मेडिकल बोर्ड बनाकर इस मामले पर अपनी राय देने को कहा था. बोर्ड ने अपनी मेडिकल रिपोर्ट में लड़की को 27 हफ्ते की प्रेग्नेंट पाते हुए यह सलाह दी थी कि वह अगर अपनी प्रेग्नेंसी खत्म कराने की कोशिश करती है तो आने वाले समय में उसके शारीरिक स्वास्थ्य के लिए यह अच्छा नहीं होगा. 


फिर अदालत ने दिया बालिका गृह में भेजे जाने का आदेश
मेडिकल बोर्ड की सलाह के बाद लड़की ने फैसला किया कि वह बच्चे को जन्म देगी और बाद में उसको किसी अनाथ आश्रम में छोड़ आएगी. लड़की के 22 वर्षीय भाई ने भी इस व्यवस्था पर सहमति जताई जिसके बाद अदालत ने लड़की को मातृत्व केयर सेंटर में भेजे जाने का आदेश दिया. न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी ने बाल कल्याण समिति के सुझाव पर गौर करते हुए लड़की को बालिका गृह-IV, निर्मल छाया में रखने का आदेश दिया.


क्या बोली अदालत?
दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा, गर्भावस्था के चिकित्सीय समापन के संबंध में कानून की स्पष्ट स्थिति यह है कि इसके लिए केवल महिला की सहमति की आवश्यकता होती है, चूंकि वर्तमान मामले में इस लड़की की उम्र सिर्फ 14 साल है इसलिए बच्ची के भाई की सहमति से इसको हम बालिका गृह भेजे जाने का आदेश देते हैं, ताकि प्रसव होने तक इस बच्ची का खास ख्याल रखा जा सके.


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