Parliament Budget Session 2022: सरकार ने बताया कि पिछले तीन वर्ष के दौरान विदेशों में स्थित कंपनियों में कार्य के दौरान हुए हादसों में लगभग 1509 भारतीयों की मृत्यु तथा 241 लंबित मामलों में मृत्यु के कारण प्रतिपूर्ति के दावों की प्रक्रिया चल रही है. लोकसभा को विजय वघेल और अरूण साव के प्रश्न के लिखित उत्तर में विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. सदस्यों ने पिछले तीन वर्षों में नौकरी के लिये विदेश गए एवं वहां कंपनियों में कार्य के दौरान जान गंवाने वाले भारतीयों की संख्या के बारे में जानकारी मांगी थी.
विदेशों की कंपनियों में करीब 1509 भारतीयों ने गंवाई है अपनी जान
सरकार द्वारा लोकसभा में पेश आंकड़ों के मुताबिक, जिन देशों से लंबित मामलों में प्रतिपूर्ति के दावों की प्रक्रिया चल रही है उनमें कतर में 81 मामले, सऊदी अरब में 31, सिंगापुर में 26, संयुक्त अरब अमीरात में 26, कुवैत में 21, सूडान में 20, मलेशिया में 17, ओमान में 5, बहरीन में 4, अजरबैजान-पुर्तगाल में 3-3 मामले शामिल हैं .
मंत्री ने बताया कि तीन वर्ष के दौरान विदेशों में स्थित कंपनियों में कार्य के दौरान हुए हादसों में लगभग 1509 भारतीयों की मृत्यु हो गई. उन्होंने बताया कि 241 लंबित मामलों में मृत्यु के कारण प्रतिपूर्ति के दावों की प्रक्रिया चल रही है. मुरलीधरन ने कहा कि भारत सरकार ने ऐसे प्रवासी श्रमिकों के लिये ‘प्रवासी भारतीय बीमा योजना’ शुरू की है जिन्हें उत्प्रवास संबंधी अनापत्ति प्रमाणपत्र की जरूरत है.
प्रवासी भारतीयों को दी गई है बीमा की सुविधा
उन्होंने बताया कि इस योजना को वर्ष 2017 में और मजबूत बनाया गया ताकि यह भारतीय प्रवासी श्रमिकों के लिये लाभदायक हो सके. विदेश राज्य मंत्री ने कहा कि यह योजना दो और तीन साल की अवधि के लिये क्रमश: 275 रुपये और 375 रुपये के मामूली प्रीमियम पर मृत्यु या अस्थायी विकलांगता के मामले में 10 लाख रुपये का बीमा कवर तथा कुछ अन्य सीमित लाभ प्रदान करती है. उन्होंने बताया कि कई देशों में ऐसे मामलों को, मेजबान देशों के स्थानीय कानूनों के अनुसार सीधे नियोक्ताओं और मृतक के परिवारों के बीच निपटाया जा रहा है.