नई दिल्ली: भारत और यूरोपीय संघ के बीच हुई 15वीं शिखर बैठक के दौरान चीन के साथ रिश्तों का तनाव और वास्तविक नियंत्रण रेखा के हालात का मुद्दा भी उभरा. यूरोपीय संघ नेतृत्व के साथ बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जहां भारत-चीन रिश्तों के संदर्भ में बात की वहीं, एलएसी की मौजूदा स्थिति के बारे में भी जानकारी साझा की.


विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) विकास स्वरूप ने बताया कि वैश्विक संबंधों की समीक्षा की कड़ी में भारत और चीन के रिश्तों का भी जिक्र आया. साथ ही चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने चीन के साथ सीमा पर चल रही स्थितियों के बारे में भी यूरोपीय संघ नेतृत्व के साथ बात की. महत्वपूर्ण है कि भारत और यूरोपीय संघ कुनबे के 27 मुल्कों के बीच आपसी साझेदारी को अगले पांच सालों के लिए नए पायदान पर ले जाने को लेकर सहमति बनी है. इसके लिए दोनों पक्षों ने 2025 तक के लिए एक नया रणनीतिक रोडमैप भी जारी किया है.


भारत और यूरोपीय संघ के बीच तालमेल बनाने के लिए जहां एशिया-यूरोप संवाद बढ़ाने पर रजामंदी बनी है. वहीं, आसियान के दायरे में भी दोनों पक्ष आपसी सहयोग बढ़ाएंगे. इसके अलावा भारत और यूरोपीय संघ ने एक नई मैरिटाइम सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने का फैसला लिया है. इतना ही नहीं साइबर सुरक्षा, मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ कारगर उपाय, आतंकवाद निरोधक कार्रवाई समेत अन्य मोर्चों पर भी आपसी सहयोग बढ़ाने का फैसला हुआ है. सैन्य संस्थानों के बीच साझेदारी में इजाफे को लेकर भी रजामंदी 2025 तक के लिए बनाए नए रोडमैप में रखी गई है.


महत्वपूर्ण है कि चीन की रणनीतिक पैठ को लेकर बीते कुछ समय से यूरोप में भी आलोचना के सुर तेज हुए हैं. चीन की महंगी और अति महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड परियोजना के लिहाज से यूरोप जहां खासा अहम है. वहीं, बीते कुछ सालों में यूरोप के कई देशों में चीन ने अपना आर्थिक दबदबा भी बहुत बढ़ाया है. हालांकि कोरोना संकट के दौरान जर्मनी और फ्रांस समेत कई बड़ी यूरोपीय अर्थव्यवस्थाओं में चीनी दखल को लेकर सवाल तीखे हुए हैं. लिहाजा भारत की कोशिश यूरोप को लोकतांत्रिक और खुली बाजार अर्थव्यवस्था के उन मानकों पर साथ लाना है जो दोनों के बीच एक मजबूत पुल बन सकते हैं.


शिखर बैठक में दिए उद्घाटन भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा भारत और यूरोपीय संघ प्राकृतिक साझेदार हैं. दोनों के बीच रणनीतिक साझेदारी कई मायनों में बहुत निर्णायक तस्वीर बनाने वाली है. वहीं यूरोपीय संघ नेतृत्व ने भी भारत के साथ सहयोग बढ़ाने का संकल्प जताया.


भारत और यूरोपीय संघ के बीच अटके एफटीए को मिलेगी रफ्तार
भारत और यूरोपीय संघ के बीच हुई शिखर बैठक ने दोनों के बीच बीते सात साल से अटकी मुक्त व्यापार और निवेश समझौते की कवायद को भी आगे बढ़ाने का रास्ता खोला है. इसके लिए दोनों पक्षों ने विदेश मंत्री स्तर संवाद का नया तंत्र स्थापित किया है. विदेश मंत्रालय के अनुसार इस नए तंत्र के सहारे अगले कुछ महीने में एक संतुलित और आपसी फायदे वाले व्यापार व निवेश समझौते को बनाने का प्रयास होगा.


गौरतलब है कि यूरोपीय संघ भारत का बड़ा कोरोबारी साझेदार है. भारत के वस्तु कारोबार में सबसे बड़े सहयोगी यूरोपीय संघ के साथ इस क्षेत्र में ही द्विपक्षीय व्यापार 100 अरब डॉलर से अधिक है. वहीं, सेवा क्षेत्र में भी भारत और यूरोपीय संघ के बीच 40 अरब डॉलर से अधिक का कारोबार है.


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