16 साल का सस्पेंशन, सब इंस्पेक्टर से बने API, जानिए क्या है सचिन वाजे का इतिहास
करीब 16 साल के सस्पेंशन के बाद जब सचिन वाजे पुलिस विभाग में वापस आये तो उनको क्राइम ब्रांच के सीआईयू यानी कि क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट का चीफ बनाया गया. जहां पर उन्होंने कई हाई प्रोफाइल मामलों की जांच शुरू की
मुंबई: पिछले कुछ दिनों से महाराष्ट्र के विपक्ष के निशाने पर रहने वाले एपीआई सचिन वाजे का क्राइम ब्रांच से ट्रांसफर कर उन्हें अब एसबी-1 में भेज दिया गया था. कल NIA ने सचिन वाजे को अम्बानी के घर के पास 20 जिलिटीन के साथ स्कॉर्पियो खड़ा करने के मामले में गिरफ्तार किया था.
उद्योगपति मुकेश अम्बानी के घर के पास 20 जिलिटीन स्टिक्स और धमकी भरा पत्र जिस स्कॉर्पियो में मिला था, उसका मालिक मनसुख हिरन था. इस मामले की जांच में आगे चलकर विरोधी पक्ष नेता देवेंद्र फडणवीस ने विधानसभा में कहा कि मनसुख और सचिन वाजे एक दूसरे को जानते थे और भी कई आरोप लगाए, जिसके बाद ही उनके ट्रांसफर को लेकर बातचीत तेज हो गयी थी. इन सबके बाद राज्य के होम मिनिस्टर अनिल देशमुख ने उनके ट्रांसफर की घोषणा विधानसभा में की और फिर सचिन वाजे का ट्रांसफर कर दिया गया.
कौन कौन से मामले थे उनके पास?
करीब 16 साल के सस्पेंशन के बाद जब वो पुलिस विभाग में वापस आये तो उनको क्राइम ब्रांच के सीआईयू यानी कि क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट का चीफ बनाया गया. जहां पर उन्होंने कई हाई प्रोफाइल मामलों की जांच शुरू की और उस दौरान उन्होंने देश का सबसे बड़ा टीआरपी यानी कि टेलीविजन रेटिंग पॉइंट का घोटाला बाहर निकाला और कई बड़े नामों को गिरफ्तार किया. इसके बाद उन्होंने फेक फॉलोवर वाले मामले की जांच भी की, जिसमें बादशाह जैसे रैपर को भी स्टेटमेंट के लिए बुलाया. उन्होंने देश का सबसे पहला स्पोर्ट कार बनाने वाले यानी कि डीसी अवनति के मालिक दिलीप छाबरिया को भी गिरफ्तार किया था. हाल ही में उनके पास अभिनेत्री कंगना और हृतिक रोशन के बीच ईमेल मामले की जांच भी आई थी.
सचिन वाजे का इतिहास
1972 में पैदा हुए वाजे महाराष्ट्र पुलिस फोर्स में कार्यरत हैं, जिन्हें एनकाउंटर स्पेशलिस्ट भी कहा जाता है. बताया जाता है कि वे जब एक एनकाउंटर स्क्वॉड को लीड करते थे तब उन्होंने 63 क्रिमिनल्स का एनकाउंटर किया था. 1990 में वाजे ने महाराष्ट्र पुलिस फोर्स सब इंस्पेक्टर के तौर पर जॉइन किया था. जिन्होंने कई क्रिमिनल्स को मारा, जिनके कनेक्शन छोटा राजन और दाऊद इब्राहिम गैंग से थे.
पोस्टिंग्स
1990 में फोर्स जॉइन करने के बाद वाजे की पहली पोस्टिंग महाराष्ट्र के नक्सल प्रभावित इलाका यानी कि गडचिरोली में हुई थी. उसके बाद 1992 में उनका ट्रांसफर ठाणे पुलिस में हुआ, जहां पर कई बड़े मामलों को सुलझाने के बाद उनको लोग जानने लगे. जिसके बाद उन्हें स्पेशल स्कॉड का इंचार्ज बनाया गया, और फिर क्रिमनल्स का इनकाउंटर शुरू हुआ.
सस्पेंशन और फिर से वापसी
बताया जाता है कि 3 मार्च 2004 में सचिन वाजे के साथ साथ 14 अन्य पुलिस कर्मियीं को ख्वाजा यूनुस नाम के संदिग्ध की पुलिस कस्टडी में मौत के चलते सस्पेंड किया गया था. ख्वाजा यूनुस 2 दिसम्बर 2002 के घाटकोपर बम धमाके मामले में संदिग्ध था.
इसके बाद वाजे ने महाराष्ट्र सरकार को उन्हें सेवा में वापस लेने के लिए एप्लिकेशन लिखा था, जिसे सरकार ने रिजेक्ट कर दिया था. इसके बाद 30 नवंबर 2007 में वाजे ने अपना इस्तीफा दे दिया था और फिर 2008 में शिवसेना के दशहरा सम्मेलन में वाजे ने शिवसेना में प्रवेश किया था. इसके बाद करीब 16 साल के बाद 6 जून 2020 में उन्हें सर्विस में दोबारा से ले लिया गया और फिलहाल उन्हें क्राइम इंटेकइजेन्स यूनिट (सीआईयू) का इंचार्ज बनाया गया है.
सचिन वाजे ने 26/11 के मुंबई में हुए आतंकी हमले पर ‘जिंकून हरलेली लढाई’ नाम की बुक मराठी भाषा मे लिखी थी. मुम्बई का चर्चित शीना बोरा हत्या मामला और डेविड हेडली पर भी बुक लिखी है.
यह भी पढ़ें-
देश के 392 नए हवाई मार्गों की जल्द होगी शुरुआत, उड़ान 4.1 के तहत शुरू हुई बिडिंग की प्रक्रिया