17th Indian Cooperative Congress: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस के अवसर पर 17वीं भारतीय सहकारी कांग्रेस कार्यक्रम में हिस्सा लिया. यहां अमित शाह ने संबोधित करते हुए कहा कि सहकारिता आंदोलन हमारे देश में 115 साल पुराना है. आजादी के बाद से सहकारिता क्षेत्र के कार्यकर्ताओं की ये प्रमुख मांग थी कि सहकारिता मंत्रालय को अलग बना दिया जाए. सहकारिता का पूरा कामकाज इसी मंत्रालय के अंतर्गत किया जाए.


अमित शाह ने कहा, 'प्रधानमंत्री मोदी ने 75 साल से लंबी हमारी इस मांग को पूरा करके हमें स्वतंत्र मंत्रालय प्रदान किया है और मैं देख रहा हूं कि स्वतंत्र मंत्रालय बनने से सहकारिता के क्षेत्र में ढेर सारे परिवर्तन संभव हुए हैं. आगे भी ऐसा होने की उम्मीद है. भारतीय सहकारी संघ एक प्रकार से सहकारिता क्षेत्र की सर्वोच्च संस्था है और सहकारिता को ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए इस संघ ने बहुत अच्छी भूमिका निभाई है. इसने तालमेल भी बैठाया है और प्रयास भी किया है.'


'अर्थव्यवस्था में 19% का हिस्सा सहकारिता का'


केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने कहा कि इस सदी में सहकारिता आंदोलन ने ढेर सारी उपलब्धियां प्राप्त की है. कृषि ऋण वितरण की अर्थव्यवस्था में 19% का हिस्सा सहकारिता का है, उर्वरक के वितरण में 35% का हिस्सा और उर्वरक के उत्पादन में 25% और चीनी के उत्पादन में 35% से ज्यादा हिस्सा सहकारिता का है. 


अमित शाह ने आगे कहा, दूध की खरीदी बिक्री और उत्पादन में 9 प्रतिशत, गेहूं की खरीदी में 13 प्रतिशत, धान की खरीदी में 20 प्रतिशत हिस्सा सहकारिता का है. इसके साथ ढेर सारी क्रेडिट कोपरेटिव सोसाइटी, हाउसिंग सोसाइटी के माध्यम से छोटे वर्ग की आजीविका के लिए ढेर सारे काम किए गए हैं. आजादी से पहले सहकारिता का पूरा काम कृषि मंत्रालय के अंतर्गत एक जॉइन्ट सेक्रेटरी देखते थे. इससे कई प्रकार की समस्या आती थी. पीएम मोदी ने अलग मंत्रालय प्रदान कर इन सभी समस्याओं से छुटकारा दिलाया है.


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