Chhatrapati Shivaji Maharaj Hospital: मुंबई के कलवा इलाके में शनिवार (12 अगस्त) की रात ठाणे महानगर पालिका की ओर से संचालित छत्रपति शिवाजी महाराज अस्पताल में 17 मरीजों की मौत हो गई, जिससे वहां हड़कंप मच गया. इसके बाद रविवार सुबह एक और मरीज की मौत होने की सूचना मिली है. इससे पहले बीते 10 अगस्त को भी इसी अस्पताल में इलाज करवा रहे 5 मरीजों की मौत हुई थी. फिलहाल मृतकों के परिजनों में आक्रोश है, जिसके मद्देनजर अस्पताल परिसर को छावनी में तब्दील कर दिया गया है.


अस्पताल प्रशासन का कहना है कि मरीजों की मौत अलग-अलग बीमारियों के कारण हुई. मरने वाले में से कई ऐसे मरीज से थे जो बीते 4-5 दिनों से अस्पताल में इलाज करा रहे थे. वहीं, दूसरी तरफ अस्पताल के डीन ने कहा, "अस्पताल में क्षमता से अधिक मरीज में पहुंच रहे हैं. अस्पताल में बेड और नर्सिंग स्टाफ की कमी है. हालांकि, नर्सिंग और बेड की आपूर्ति के लिए ठाणे महानगरपालिका को निवेदन किया जा चुका है."  


एनसीपी विधायक ने दी आंदोलन की चेतावनी
मामले में एनसीपी विधायक (शरद पवार गुट) जितेंद्र आव्हाड ने कहा, "हमारी पार्टी के नेता शरद पवार हैं, वे इस समय सोलापुर में है. उन्होंने इस मामले को संज्ञान में लेते हुए ट्वीट किया है. आप समझिए कि हम लोग इस पूरी घटना को लेकर कितने संवेदनशील हैं. अस्पताल प्रशासन को यहां आने वाले मरीजों का इलाज ठीक से करना होगा. नहीं तो हम उग्र आंदोलन करेंगे.''


मृतकों के परिजनों के लिए मुआवजे की मांग
आव्हाड ने कहा, "मैंने सुना है कि मुख्यमंत्री बीमार हैं... लेकिन यहां उनका कोई एक मंत्री तो पहुंचना चाहिए था... मेरी मांग है कि मृतकों के परिजनों को 50-50 लाख रुपये का मुआवजा मिलना चाहिए. साथ ही तत्काल प्रभाव से इस अस्पताल के डीन को निकाल देना चाहिए."


परिजनों ने लापरवाही का लगाया आरोप
वहीं, मामले में एबीपी संवाददाता कृष्णानन्द ठाकुर से बात करते हुए मृतक के परिजन लियाज चौहान ने कहा, "मैंने अपनी चचेरी बहन को यहां इलाज के लिए भर्ती कराया था. मेरी बहन को पेट में दर्द की शिकायत थी. कल देर शाम ऑपरेशन हुआ है और आज तड़के सुबह यह बताया गया कि हमारी बहन नहीं रही. मेरी बहन की जान अस्पताल की लापरवाही की वजह से गई है.''


मरीज को नहीं मिला इलाज
एक अन्य शख्स अभिषेक चौहान ने बताया कि चार दिन पहले उनकी मां का एक्सीडेंट हो गया था. वह अपनी मां को लेकर यहां आए, लेकिन डॉक्टर ने उनकी बात पर ध्यान नहीं दिया. डॉक्टरों की तरफ से यह कहा जा रहा था कि मां ठीक हैं, उन्हें खून की कमी है. उन्होंने बताया, ''कल जब मेरी मां की तबीयत ज्यादा बिगड़ी तो उन्हें आईसीयू में भर्ती कराया गया, लेकिन रात में उनकी मौत हो गई है. अगर पहले-दूसरे दिन ही सही इलाज मिला होता तो मेरी मां आज मेरे साथ होतीं.''


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