अदालत के फैसले के बाद सिख दंगों का मुद्दा फिर बनने लगा चुनावी मुद्दा
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ना सिर्फ कांग्रेस पर हमला किया बल्कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के उस बयान का भी जिक्र किया जिसमें राजीव गांधी ने कहा था कि "जब बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिलती है".
नई दिल्ली: 84 के सिख विरोधी दंगे मामले में दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट से दो दोषियों को उम्रकैद और फांसी की सजा मिलने के बाद अब एक बार फिर से सिख दंगों का मुद्दा राजनीतिक मुद्दा बन गया है. बीजेपी ने पटियाला हाउस कोर्ट के फैसले के बाद एक बार फिर से कांग्रेस के ऊपर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस की सरकारों के दौरान पीड़ित परिवारों को न्याय नहीं मिल पाया लेकिन मोदी सरकार के आने के बाद जब एसआईटी का गठन किया गया तो फिर अदालत ने दोषियों को सजा सुनाई.
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ना सिर्फ कांग्रेस पर हमला किया बल्कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के उस बयान का भी जिक्र किया जिसमें राजीव गांधी ने कहा था कि "जब बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिलती है". राजीव गांधी के उस बयान का जिक्र करते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस ने आज तक राजीव के उस बयान पर माफी नहीं मांगी. राजीव ने देश के प्रधानमंत्री होते हुए लोगों को भड़काने का काम किया था जिसके बाद में यह दंगे हुए थे जिसमें हजारों की संख्या में सिखों की मौत हुई थी.
कांग्रेस की पिछली सरकारों पर आरोप लगाते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस लगातार सिख दंगों के मामलों में शामिल लोगों और पार्टी के नेताओं को बचाने की कोशिश में लगी रही है. हालांकि 84 के दंगे के बाद से एक के बाद एक कमीशन ज़रूर बनाए गए, एसआईटी का गठन किया गया. लेकिन इससे पहले कि किसी कमिशन की रिपोर्ट सामने आती या उस पर अमल करने की बात होती है एक नया कमिशन बना दिया जाता और इसी तरह से मामला सालों साल लंबित रहा.
रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस पर हमला करते हुए नानावटी कमीशन की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि नानावटी कमीशन की रिपोर्ट में कहा गया था कि 1984 में सिखों पर हुए हमले एक ही योजनाबद्ध तरीके से किए गए हमले थे. नानावटी कमीशन के सामने कई ऐसे गवाह भी आए थे जिन्होंने कांग्रेसी नेता जगदीश टाइटलर और सज्जन कुमार का नाम भी लिया था. लेकिन नानावटी कमीशन की रिपोर्ट आई तो उस दौरान तक अटल सरकार सत्ता में नहीं थी और यूपीए सरकार ने उस रिपोर्ट पर भी कोई कार्रवाई नहीं की.
रविशंकर प्रसाद ने इसके साथ ही कांग्रेसी नेता कमलनाथ का भी जिक्र करते हुए कहा की कमलनाथ मध्य प्रदेश चुनावों में कांग्रेस का एक चेहरा है. लेकिन ये वही कमलनाथ हैं जिनको जब पंजाब चुनावों के लिए प्रभारी बनाया गया था तो सिख समुदाय के गुस्से को देखते हुए उनको प्रभारी पद से हटा दिया गया था.
गौरतलब है कि सिख दंगों का मामला एक ऐसा मामला रहा है जिस पर 1984 के बाद से ही लगातार कांग्रेस बैकफुट पर रही है. लेकिन जिस तरह से 2015 में एसआईटी के गठन के बाद अदालत का फैसला आया और अदालत ने अपने फैसले में दोषियों को उम्रकैद और फांसी की सजा सुनाई उससे बीजेपी को कांग्रेस पर हमला करने का एक नया मौका जरूर मिल गया है.
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बीजेपी अब यह बताने की कोशिश कर रही है कि कांग्रेस की सरकारों के दौरान सिख समुदाय के लोगों को न्याय नहीं मिल पा रहा था और मोदी सरकार के आने के बाद में सिख दंगों के दोषियों को सजा मिलनी शुरू हो गई है. ऐसे में आगामी चुनावों में सिख दंगों का मुद्दा भी एक बड़ा चुनावी मुद्दा तो बन ही सकता है उसके अलावा 2019 के लोकसभा चुनावों में भी बीजेपी सिख दंगों को लेकर कांग्रेस पर हमला करने का कोई मौका हाथ से नहीं जाने देना चाहेगी.
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