नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने 1984 में हुए सिख दंगे मामले में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा का एलान किया है. कोर्ट के इस फैसले के बाद 31 दिसंबर को सज्जन कुमार को सरेंडर करना होगा. यह मामला 1984 में दिल्ली कैंट में हुए सिख दंगों से जुड़ा हुआ है जिसमें 5 सिखों की हत्या कर दी गई थी. अदालत ने सज्जन कुमार को धारा 302 के तहत हत्या का दोषी करार दिया है और इसी आधार पर उम्रकैद की सजा सुनाई है.
इस मामले में जांच एजेंसी सीबीआई ने कांग्रेस नेता सज्जन कुमार समेत 6 लोगों को आरोपी बनाया था. याद रहे कि अप्रैल 2013 में निचली अदालत ने अपने फैसले में सज्जन कुमार को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था जबकि 5 अन्य लोगों को दोषी ठहराया था.
ग़ौरतलब है कि सज्जन कुमार को ऐसे वक्त में सिख विरोधी दंगो में सजा का एलान किया है, जब मध्य प्रदेश में कमलनाथ आड ही राज्य के नए सीएम बनने जा रहे हैं और उनपर भी दंगों में शामिल होने का आरोप है. इस फैसले के बाद कांग्रेस का आयोजन फीका पड़ता नजर आ रहा है.
अगर कमलनाथ दोषी तो मोदी भी दोषी: कांग्रेस
सिख दंगों में हाई कोर्ट के फैसले के बाद कमलनाथ के सवाल पर कपिल सिब्बल ने कहा, ''गुजरात माया कोडनानी की गिरफ्तारी हुई और दोषी करार दी गईं उसके पीछे जो लोग थे उन्हें सजा मिलनी चाहिए. वो लोग तब चीफ मिनिस्टर थे अब प्रधानमंत्री हैं. प्रधानमंत्री को मायाकोडनानी और ऐसे लोगों से दूरी रखनी चाहिए.
सिब्बल ने कहा, ''सज्जन कुमार को ना तो टिकट दिया गया, उनके पास कोई पद नहीं है जबकि गुजरात में लोगों दंगों में शामिल थे उन्हें पद दिया गया. जहां तक कमलनाथ का सवाल है, वही बात केंद्र में हो रही है, वो कैसे प्रधानमंत्री बने हुए हैं ? जांच तो इसकी भी पूरे तरह से होनी चाहिए. अरुण जेटली अगर बेबुनियाद आरोप लगाते हैं तो हम भी कह सकते हैं कि प्रधानमंत्री जी थोड़ा इंसाफ कीजिए.''
जेटली ने फैसले का स्वागत किया, कहा- सज्जन कुमार सिख दंगों का प्रतीक
सज्जन कुमार पर दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के बाद अरुण जेटली ने कमलनाथ को घेरा. वित्त मंत्री ने कहा, ''आज जो दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला आया है, निचली अदालत के फैसले को बदला है और 1984 के सिख विरोधी दंगों के प्रतीक सज्जन कुमार को दंगों के लिए दोषी बताया गया, हम इसका स्वागत करते हैं. ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण नरसंहार था, बच्चों को महिलाओं को घरों से निकाल कर हत्या कर दी गई. कांग्रेस पार्टी ने न्याय दिलवाने के बजाए इस पर पर्दा डालने का प्रयास किया. ये पाप कांग्रेस के सिर नहीं हट सकता.''
जेटली ने कहा, ''जांच कमीशन ने कह दिया कि इसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं थी. जिस जिस कमेटी ने कांग्रेस के लोगों की तरफ इशारा किया, उस कमेटी को बदल दिया गया. ये फैसला उस दिन आया है जिस दिन सिख समाज दंगों के लिए दोषी मानता है, कांग्रेस पार्टी आज उस नेता को मुख्यमंत्री की शपथ दिलवा रहा है. हम इस फैसले का स्वागत इसलिए करते हैं क्योंकि देर से ही सही फैसला आया है.'' सिख दंगों पर माफी के सवाल पर वित्तमंत्री ने कहा कि अगर आप हजारों लोगों की हत्या करवाकर माफी मांग लेंगे तो सजा किसको होगी?
बीजेपी का हमला
बीजेपी नेता ने ओपी सिंह कहा, ''दंगा कांग्रेस ने करवाया था, राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी जवाब दे. क्या कमलनथा को अब भी मुख्यमंत्री बनाएंगे. कमलनाथ के खिलाफ भी इसी तरह का मामला है."
अकाली दल के नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि हमने इसके लिए लंबी लड़ाई लड़ी है. हमारी लड़ाई तब तक जारी रहेगी जबतक इनके लिए हम सजाए मौत नहीं लेकर आते. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी या तो अपने पद से इस्तीफा दें या फिर इन हत्यारों को पार्टी से बाहर करें. कांग्रेस हत्यारों को मुख्यमंत्री बना रही है.
बीजेपी नेता तेजिंदर बग्गा ने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे और सज्जन कुमार के लिए फांसी की मांग करेंगे. इसके साथ ही हम कमलनाथ और जगदीश टाइटलर के लिए भी फांसी की मांग करेंगे.
राहुल गांधी ने सिख दंगों पर क्या कहा था?
लंदन में राहुल गांधी ने सिख दंगों के सवाल पर कहा था, ''मेरे मन में उसके बारे में कोई भ्रम नहीं है. यह एक त्रासदी थी, यह एक दुखद अनुभव था. आप कहते हैं कि उसमें कांग्रेस पार्टी शामिल थी, मैं इससे सहमति नहीं रखता. निश्चित तौर पर हिंसा हुई थी, निश्चित तौर पर वह त्रासदी थी. मुझे लगता है कि किसी के भी खिलाफ कोई भी हिंसा गलत है. भारत में कानूनी प्रक्रिया चल रही है लेकिन जहां तक मैं मानता हूं उस समय कुछ भी गलत किया गया तो उसे सजा मिलनी चाहिए और मैं इसका 100 फीसदी समर्थन करता हूं.''
क्या है मामला?
इस मामले में निचली अदालत ने कैप्टन भागमल, पूर्व कांग्रेस पार्षद बलवान खोखर, गिरधारी लाल और दो अन्य को दोषी ठहराया था. इनमें से तीन को उम्र कैद की सजा और 2 को 3-3 साल कैद की सजा सुनाई गई थी. निचली अदालत के फैसले के खिलाफ जांच एजेंसी सीबीआई और सिख दंगा पीड़ितों ने दिल्ली हाईकोर्ट में सज्जन कुमार को बरी किए जाने के फैसले को चुनौती दी थी. इसके अलावा जिन 5 लोगों को निचली अदालत ने सजा सुनाई थी उन लोगों ने भी निचली अदालत के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.
दिल्ली हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआई ने दलील देते हुए दिल्ली पुलिस की भूमिका पर भी सवाल खड़े करते हुए कहा कि इस मामले में दिल्ली पुलिस की भूमिका सवालों के घेरे में है. दिल्ली पुलिस ने राजनेताओं को बचाने की कोशिश की थी. सीबीआई ने कहा कि पीड़ितों ने सज्जन कुमार का नाम लिया था इसके बाद भी पुलिस ने सज्जन का नाम छोड़कर अन्य के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल कर दिया. सीबीआई के वकील ने कहा कि सज्जन कुमार को किस तरह से सहयोग किया गया इसका एक उदाहरण यह भी है कि जब नानावती कमीशन ने उनके खिलाफ मामला दर्ज करने की बात कही तब तत्कालीन सरकार ने नानावटी कमीशन की उस सिफारिश को मानने से इंकार कर दिया था.
वहीं, पीड़ितों के वकील एचएस फूलका ने दलील देते हुए कहा था कि मामले में शुरुआती चार्जशीट में सज्जन कुमार का नाम था लेकिन दिल्ली पुलिस ने इसे कभी दाखिल नहीं किया. पुलिस ने इस तथ्य को हमेशा अपनी फाइलों में दबाए रखा. हाईकोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद 27 अक्टूबर को अपना फैसला सुरक्षित रखा था.
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