1984 Sikh Riots Case: सज्जन कुमार फिर जाएंगे जेल? दिल्ली HC ने CBI की मंजूर की अपील
1984 Anti Sikh Riots: 2005 में सज्जन कुमार और अन्य आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने जनवरी 2010 में आरोपियों के खिलाफ दो चार्जशीट पेश कीं.
1984 Anti Sikh Riots: दिल्ली हाई कोर्ट ने 1984 सिख विरोधी दंगों के एक मामले में पूर्व कांग्रेस सांसद सज्जन कुमार और अन्य आरोपियों की बरी होने के खिलाफ सीबीआई की अपील को स्वीकार कर लिया है. यह फैसला सीबीआई की उस याचिका पर आया है जिसमें ट्रायल कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार की मांग की गई थी, ताकि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़के सांप्रदायिक हिंसा के शिकार लोगों की आवाज फिर से उठाई जा सके.
इससे पहले ट्रायल कोर्ट ने सबूतों की कमी और गवाहों की गवाही में विरोधाभास का हवाला देते हुए सज्जन कुमार को बरी कर दिया था. हालांकि, सीबीआई ने अपनी अपील में कहा है कि नए सबूत सामने आए हैं, जिनके आधार पर मामले की दोबारा जांच होनी चाहिए. 1984 के दंगे एक संवेदनशील मुद्दा बने हुए हैं और पीड़ितों के साथ-साथ समुदाय के लोग आज भी इस हिंसा में शामिल लोगों की जवाबदेही की मांग कर रहे हैं.
क्या है पूरा मामला?
1984 में 31 अक्टूबर को भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके खुद के सुरक्षाकर्मियों ने हत्या कर दी थी, इसके बाद सिखों के खिलाफ हिंसा भड़क उठी. यह घटना दिल्ली के छावनी क्षेत्र में पांच सिखों की हत्या से संबंधित थी. राजनगर इलाके में केहर सिंह, गुरप्रीत सिंह, रघुविंदर सिंह, नरेंद्र पाल सिंह और कुलदीप सिंह की निर्मम हत्या की गई थी.
इस मामले की जांच के लिए स्थापित जस्टिस जीटी नानावती आयोग की सिफारिशों के आधार पर, 2005 में सज्जन कुमार और अन्य आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया. केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने जनवरी 2010 में आरोपियों के खिलाफ दो चार्जशीट पेश कीं. सीबीआई ने अदालत को सूचित किया कि दंगों के दौरान सज्जन कुमार और पुलिस के बीच एक घातक संबंध था, जो मामले की गंभीरता को और बढ़ाता है.
कौन हैं सज्जन कुमार?
सज्जन कुमार एक पूर्व कांग्रेस नेता हैं. वह 1970 के दशक से दिल्ली की राजनीति में सक्रिय हैं. उन्होंने पहली बार 1977 में दिल्ली नगर निगम का चुनाव लड़ा और पार्षद चुने गए. इसके बाद, 1980 में लोकसभा चुनावों में चौधरी ब्रह्म प्रकाश को हराकर वे सांसद बने. हालांकि, 1984 में सिख दंगों में शामिल होने के आरोपों के चलते कांग्रेस ने उन्हें आम चुनावों में टिकट नहीं दिया. इसके बावजूद, 1991 में सज्जन कुमार ने फिर से सांसद बनने में सफलता हासिल की. साल 2004 में, कांग्रेस ने उन्हें एक बार फिर लोकसभा का टिकट दिया और सज्जन कुमार ने बाहरी दिल्ली सीट से चुनाव लड़ा, जिसमें वे फिर से सांसद चुने गए.
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