1984 दंगा: कोर्ट के फैसले का पंजाब सीएम अमरिंदर सिंह ने किया स्वागत, कहा-पीड़ितों को न्याय मिला
1984 सिख विरोधी दंगा मामले में दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले का पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने स्वागत किया है.
नई दिल्ली: 1984 सिख विरोधी दंगा मामले में दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले का पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने स्वागत किया है. उन्होंने इस मामले को स्वतंत्र भारत में सांप्रदायिक हिंसा के सबसे बुरे उदाहरणों में से एक बताते हुए कहा कि पीड़ितों को न्याय मिला है.
Punjab CMO: Punjab Chief Minister Captain Amarinder Singh has welcomed the conviction of Sajjan Kumar in the 1984 riots case, terming it a case of justice finally delivered to the victims of one of the worst instances of communal violence in independent India. pic.twitter.com/PsM7F7YTHn
— ANI (@ANI) December 17, 2018
बता दें कि सिख विरोधी दंगे में कोर्ट ने कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा का एलान किया है. कोर्ट के इस फैसले के बाद 31 दिसंबर को सज्जन कुमार को सरेंडर करना होगा.
बता दें कि इस मामले में जांच एजेंसी सीबीआई ने कांग्रेस नेता सज्जन कुमार समेत 6 लोगों को आरोपी बनाया था. याद रहे कि अप्रैल 2013 में निचली अदालत ने अपने फैसले में सज्जन कुमार को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था जबकि 5 अन्य लोगों को दोषी ठहराया था.
क्या है पूरा मामला? इस मामले में निचली अदालत ने कैप्टन भागमल, पूर्व कांग्रेस पार्षद बलवान खोखर, गिरधारी लाल और दो अन्य को दोषी ठहराया था. इनमें से तीन को उम्र कैद की सजा और 2 को 3-3 साल कैद की सजा सुनाई गई थी. निचली अदालत के फैसले के खिलाफ जांच एजेंसी सीबीआई और सिख दंगा पीड़ितों ने दिल्ली हाईकोर्ट में सज्जन कुमार को बरी किए जाने के फैसले को चुनौती दी थी. इसके अलावा जिन 5 लोगों को निचली अदालत ने सजा सुनाई थी उन लोगों ने भी निचली अदालत के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.
दिल्ली हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआई ने दलील देते हुए दिल्ली पुलिस की भूमिका पर भी सवाल खड़े करते हुए कहा कि इस मामले में दिल्ली पुलिस की भूमिका सवालों के घेरे में है. दिल्ली पुलिस ने राजनेताओं को बचाने की कोशिश की थी. सीबीआई ने कहा कि पीड़ितों ने सज्जन कुमार का नाम लिया था इसके बाद भी पुलिस ने सज्जन का नाम छोड़कर अन्य के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल कर दिया. सीबीआई के वकील ने कहा कि सज्जन कुमार को किस तरह से सहयोग किया गया इसका एक उदाहरण यह भी है कि जब नानावती कमीशन ने उनके खिलाफ मामला दर्ज करने की बात कही तब तत्कालीन सरकार ने नानावटी कमीशन की उस सिफारिश को मानने से इंकार कर दिया था.
वहीं, पीड़ितों के वकील एचएस फूलका ने दलील देते हुए कहा था कि मामले में शुरुआती चार्जशीट में सज्जन कुमार का नाम था लेकिन दिल्ली पुलिस ने इसे कभी दाखिल नहीं किया. पुलिस ने इस तथ्य को हमेशा अपनी फाइलों में दबाए रखा. हाईकोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद 27 अक्टूबर को अपना फैसला सुरक्षित रखा था.