America On Sikh Religion: भारत में कई धर्म के लोग रहते है. हिन्दु, मुसलिम, सिख, ईसाइ, पारसी, बौद्ध और भी बहुत से. देश में जाति धर्म को लेकर दंगे भी हुए है, लेकिन 1984 में हुए सिख दंगों को बहुत दर्दनाक दंगो में से एक माना जाता है. इस पर बात करते हुए एक अमेरिकी सीनेटर ने सिख विरोधी दंगों को आधुनिक भारत के इतिहास का ‘‘सबसे काले’’ सालों में से एक बताया. उन्होनें कहा कि सिखों पर किए गए अत्याचारों को याद रखने की जरूरत है.
सिखों पर हमले 1984 में हुए थे. इसका मुख्य कारण था, भारत में 31 अक्टूबर 1984 को हुए उस समय की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या. इंदिरा गांधी की हत्या उन्हीं के बॉडीगार्ड ने गोली मारकर कर दी थी. उनके बॉडीगार्ड सिख धर्म से ताल्लुक रखते थे. इसके बाद बाद दिल्ली और देश के अन्य हिस्सों में हिंसा भड़क उठी. इस हिंसा में पूरे भारत में 3,000 से अधिक सिखों की जान चली गई थी.
सिख समुदाय को बनाया गया निशाना?
सीनेटर पैट टूमी ने सीनेट में अपने भाषण में कहा, “साल 1984 आधुनिक भारतीय इतिहास के सबसे काले वर्षों में से एक है. दुनिया ने देखा कि भारत में जातीय समूहों के बीच कई हिंसक घटनाएं हुईं, जिनमें से कई में खास तौर पर सिख समुदाय को निशाना बनाया गया. आज हम यहां उस वक्त को याद कर रहे हैं जो भारत में पंजाब प्रांत और केंद्र सरकार में सिखों के बीच पैदा हुए तनाव के बाद एक नवंबर 1984 को घटना घटी थी.’’
सिख हमलों के आकड़ें
पेन्सिल्वेनिया के सीनेटर ने आकड़ों बताते हुए कहा कि अक्सर ऐसे मामलों में, आधिकारिक अनुमान पूरी कहानी संभवत: नहीं बताते. यह अनुमान है कि पूरे भारत में 30,000 से अधिक सिख पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को भीड़ ने जानबूझकर निशाना बनाया, बलात्कार किया, मार दिया गया और दूसरे जगह भागा दिये जाने के लिए मजबूर किया.
मानवाधिकारों को खत्म होने से रोकना
सीनेटर ने भाषण के दौरान कहा, ‘‘भविष्य में मानवाधिकारों को खत्म होने से रोकना हमारा लक्ष्य है. इसके लिए हमें उनके पिछले रूपों को पहचानना होगा. हमें सिखों के खिलाफ हुए अत्याचारों को याद रखना चाहिए ताकि इसके लिए जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराया जा सके और दुनिया भर में सिख समुदाय या अन्य समुदायों के खिलाफ इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके.’’
सिख धर्म का इतिहास
भारत के पंजाब क्षेत्र में सिख धर्म की जड़ें करीब 600 साल पुरानी है. दुनिया के प्रमुख धर्मों में से एक, सिख धर्म के विश्व भर में करीब तीन करोड़ लोग हैं. अमेरिका में इनकी संख्या करीब 700,000 है. सिखों ने भी सभी धार्मिक, सांस्कृतिक और जातीय पृष्ठभूमि के लोगों की सेवा के लिए गहरी रुचि दिखाई है. जिससे उनकी उदारता और समुदाय की भावना जाहिर होती है.
सिखों ने कोविड-19 के दौरान किया मदद
‘‘अमेरिकन सिख कांग्रेसनल कॉकस’’ के सदस्य टूमी ने कहा, “कोविड-19 महामारी के दौरान, पेन्सिलवेनिया और अमेरिका में सिख समुदायों ने हजारों परिवारों को किराने का सामान, मास्क और अन्य आपूर्ति की. उनके लिए जाति, लिंग, धर्म या पंथ का कोई मतलब नहीं था.’’ व्यक्तिगत रूप से सिखों की भावना को देखा जाये तो उनमें समानता, सम्मान और शांति की परंपरा को बेहतर ढंग से समझने की परख है. उन्होंने कहा कि यह साफ है कि सिख समुदायों की उपस्थिति और उनके योगदान ने न केवल देश को बल्कि उनके पड़ोस को भी बेहतर किया है.