कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 2 अक्टूबर को अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में मत्था टेका, पालकी साहिब को कंधों पर ले गए और लंगर में सेवा की. राहुल की इस यात्रा को एक बार फिर 84 के दंगों के बाद सिखों के साथ आई दूरी को कम करने की कोशिश को तौर पर देखा जा रहा है. हालांकि, उनके करीबी सूत्र कह रहे हैं कि वह काफी काफी धार्मिक हैं, जिस वजह से उन्होंने गोल्डन टेंपल का दौरा किया. 20 साल के राजनीतिक करियर में जब-जब राहुल ने सिखों के साथ जुड़ने की कोशिश की, उन्हें 84 के दंगों को लेकर सवालों का सामना करना पड़ा है. 


खालिस्तान समर्थक और उसके अनुयायियों से गोल्डन टेंपल को मुक्त कराने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भारतीय सेना को अमृतसर भेजा था. इसके बाद उनके दो बॉडी गार्ड सतवंत सिंह और बेअंत सिंह ने उनकी हत्या कर दी और फिर देश में सिख विरोधी दंगे भड़क गए, जिसमें हजारों सिख अनाथ और बेघर हो गए. उस वक्त राजीव गांधी के एक बयान ने सनसनी मचा दी थी. उन्होंने कहा था, 'जब इंदिरा जी की हत्या हुई थी तो हमारे देश में दंगे-फसाद हुए थे. हमें पता है कि जनता में कितना गुस्सा है और कुछ दिन के लिए लोगों को लगा कि भारत हिल रहा है. जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिलती है.' 19 नवंबर, 1984 को बोट क्लब में इकट्ठा हुए लोगों के हुजूम के सामने राजीव गांधी ने यह बात कही थी. कांग्रेस पिछले 4 दशकों से इन घटनाओं को लेकर सवालों का सामना कर रही है.


आइए जानते हैं- कब-कब राहुल गांधी ने इन घटनाओं पर क्या कहा- 


2008 में राहुल गांधी का पहला दौरा
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, राहुल गांधी ने साल 2008 में पहली बार पंजाब का दौरा किया था. उस वक्त उन्हें राजनीति में कदम रखे सिर्फ 4 साल ही हुए थे. इस दौरान उन्होंने सिख विरोधी दंगों को गलत ठहराया था और उसमें शामिल लोगों को कटघरे में लाए जाने की भी बात कही थी. राहुल गांधी ने यह भी कहा था कि उनके परिवार के मन में सिखों के लिए कोई खुन्नस नहीं है. राहुल गांधी ने कहा, '1984 की उस घटना के बाद मेरे माता-पिता ने अपने मन में कभी किसी के लिए कोई बैर नहीं रखा. 1977 में जब मेरी दादी चुनाव हार गई थीं तब सिखों ने ही रैलियां करके उन्हें फिर से लड़ने के लिए हिम्मत दी थी.


2013 में जयपुर में क्या बोले राहुल गांधी
जनवरी 2013 में राहुल गांधी ने जयपुर में एआईसीसी सत्र में अपनी दादी के हत्यारों सतवंत सिंह और बेअंत सिंह का जिक्र किया और याद करते हुए कहा था कि वह दोनों के साथ दोस्त की तरह बैडमिंटन खेलते थे. राहुल गांधी ने बताया कि कैसे उनके पिता राजीव गांधी इंदिरा गांधी की हत्या के बाद अंदर से टूट गए थे. राहुल गांधी ने यह भी खुलासा किया कि पंजाब के एक विधायक ने उनसे कहा था कि अगर वे 20 साल पहले मिले होते, तो वह उनकी जान ले लेते क्योंकि उनमें काफी गुस्सा था. इस पर राहुल ने कहा कि कोई भी क्रोधित हो सकता है, क्योंकि जानबूझकर लोगों को उकसाया जाता है. नेता अपने स्वार्थ के लिए ऐसा करते हैं... उस गुस्से को भड़काने में एक मिनट लगता है, लेकिन इसे शांत होने में कई साल लगते हैं.


जब राहुल गांधी बोले थे- मैं दंगों में शामिल नहीं था
2014 की बात करें तो टाइम्स नाउ के साथ एक टीवी इंटरव्यू में राहुल ने सिख विरोधी दंगों से संबंधित सवालों का जवाब देते हुए कहा था कि सिख देश में सबसे मेहनती लोग हैं और वे 1977 में उनकी दादी के साथ खड़े थे. उन्होंने यह भी दोहराया कि अब उनमें वह गुस्सा नहीं है जो उन्हें अपनी दादी की हत्या के बाद महसूस हुआ था. हालांकि, बार-बार पूछे जाने पर कि क्या वह उन दंगों के लिए माफी मांगेंगे? इस पर राहुल गांधी ने कहा, 'मैं दंगों में शामिल नहीं था. ऐसा नहीं था कि मैं इसका हिस्सा था.' हालांकि, उसी साल राहुल गांधी ने अन्य इंटरव्यू में कहा था, 'तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने संसद में सिख विरोधी दंगों के माफी मांगी थी, कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष ने खेद व्यक्त जताया. मैं उनकी भावनाओं से पूरी तरह सहमत हूं.'


2018 में राहुल बोले- सिख विरोध दंगों में शामिल थी कांग्रेस
साल 2017 में कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में भी उन्हें दंगों से जुड़े सवालों का सामना करना पड़ा था, तब राहुल गांधी ने हिंसा की निंदा की और कहा, 'मैं हिंसा करने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ की जाने वाली किसी भी कार्रवाई का पूरा समर्थन करता हूं.' हालांकि, साल 2018 में लंदन में नेताओं के साथ बातचीत के दौरान, राहुल गांधी ने यह कहकर फिर से विवाद खड़ा कर दिया था कि कांग्रेस 1984 में सिखों के नरसंहार में शामिल नहीं थी. इससे पहले, इस साल जनवरी में कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी स्वर्ण मंदिर गए थे तब उनसे 1984 के दंगों पर भी सवाल पूछा गया था. उन्होंने इसके जवाब में सिख समुदाय को देश की रीढ़ की हड्डी का हिस्सा बताया था. राहुल गांधी ने एक बार फिर यह बात दोहराई कि मनमोहन सिंह ने संसद में दंगों के लिए मांफी मांगकर कांग्रेस का स्टैंड साफ कर दिया था. उन्होंने यह भी कहा कि मनमोहन सिंह की बात का वह समर्थन करते हैं.


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