1988 Road Rage Case: कांग्रेस नेता Navjot Singh Sidhu की सजा बढ़ाने पर सुप्रीम कोर्ट में टली सुनवाई, जानें क्या है मामला
Navjot Singh Sidhu News: सिद्धू के वकील ने शीर्ष कोर्ट में बहस की तैयारी ना होने की दलील दी और सुनवाई टालने का अनुरोध किया. कोर्ट ने अगली सुनवाई 25 फरवरी को निर्धारित की है.
Sidhu 1988 Case: पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) की सज़ा बढाने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई टल गई है. मारपीट के 34 साल पुराने मामले में कोर्ट ने सिद्धू को सिर्फ 1000 रुपये जुर्माने की सजा दी थी. घटना में मारे गए व्यक्ति के परिवार ने सज़ा पर दोबारा विचार की मांग की है. सिद्धू के लिए पेश वरिष्ठ वकील ने सुनवाई टालने के अनुरोध किया. इसे मानते हुए शीर्ष कोर्ट ने 25 फरवरी को सुनवाई करने का आदेश दिया.
'अचानक मामला लगाने की दलील गलत'
जस्टिस एएम खानविलकर और संजय किशन कौल की विशेष बेंच दोपहर 3.30 बजे सुनवाई के लिए बैठी. इसी बेंच ने 3 साल पहले मामले को सुनवाई के लिए स्वीकार किया. सिद्धू के वकील चिदंबरम ने जजों को बताया कि उन्होंने सुनवाई टालने के लिए आवेदन दिया है, क्योंकि मामला अचानक सुनवाई के लिए लगा दिया गया है. वह और सिद्धू के अन्य वकील सुनवाई के लिए तैयार नहीं हैं. इस पर जस्टिस खानविलकर ने कहा, "आप कोर्ट की रजिस्ट्री पर इस तरह सवाल नहीं उठा सकते. मामले में सितंबर 2018 में नोटिस हुआ था. मामला आज लगना है, यह बात एडवांस लिस्ट में भी प्रकाशित हुई थी."
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चुनाव की तरफ इशारा
जजों के सवाल पर चिदंबरम ने कहा कि उन्हें सिद्धू के एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड ने आज ही मामले से जोड़ा है. पीड़ित परिवार के लिए पेश वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने सिद्धू पर मामले को लटकाने का आरोप लगाया. जस्टिस खानविलकर ने कहा कि मामला 2 हफ्ते बाद लगे या 4 हफ्ते बाद इससे अधिक फर्क नहीं पड़ता. बेंच के दूसरे सदस्य जस्टिस कौल ने पंजाब चुनाव की तरफ इशारा करते हुए हल्के-फुल्के अंदाज़ में कहा, "लेकिन चिदंबरम के मुवक्किल के लिए 2 हफ्ते महत्वपूर्ण हैं।"
क्या है मामला?
पंजाब के पटियाला में 1988 में हुई इस घटना में गुरनाम सिंह नाम के शख्स की मौत हो गई थी. सिद्धू और उनके दोस्त कंवर सिंह संधू को पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने गैर इरादतन हत्या का दोषी मानते हुए 3-3 साल की सजा दी थी. लेकिन जुलाई 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने संधू को पूरी तरह बरी कर दिया, जबकि सिद्धू को सिर्फ मारपीट का दोषी माना और सिर्फ 1 हज़ार रुपये जुर्माने की सज़ा दी.
इसके खिलाफ गुरनाम सिंह के परिवार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. परिवार ने फैसले पर पुनर्विचार की मांग की. 13 सितंबर 2018 को जब यह याचिका के लिए लगी, तब तक मुख्य मामले में फैसला सुनाने वाले 2 जजों में से वरिष्ठ जज जस्टिस चेलमेश्वर रिटायर हो चुके थे. ऐसे में पुनर्विचार अर्जी पर जस्टिस खानविलकर और जस्टिस संजय किशन कौल ने विचार किया. दोनों जजों ने दोबारा सुनवाई पर सहमति जताई.
बढ़ सकती है सिद्धू की मुसीबत
कोर्ट यह साफ कर चुका है कि इस मामले में सिर्फ सजा बढ़ाने की मांग पर विचार होगा. इसका मतलब यह है कि सिद्धू पर गैर इरादतन हत्या के आरोप में दोबारा सुनवाई नहीं होगी. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में उन्हें सिर्फ मारपीट के मामलों में लगने वाली IPC की धारा 323 के तहत दोषी माना था. इसी धारा में सजा बढ़ाने की मांग पर विचार होगा. इस धारा में अधिकतम 1 साल तक की कैद का प्रावधान है. सिद्धू को सिर्फ जुर्माने पर छोड़ दिया गया था. अब एक बार फिर उनके ऊपर जेल जाने का खतरा नजर आ रहा है.
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