नई दिल्लीः अयोध्या के राम मंदिर पर फ़ैसले के बाद से ही बम मैन परेशान था. नागरिकता क़ानून के बाद से तो उसकी बेचैनी और बढ़ गई थी. डॉक्टर जलीस अंसारी की तैयारी यूपी में फिर से बम धमाका करने की थी. उसे बम मैन के नाम से जाना जाता है. अजमेर जेल से पैरोल पर वो अपने घर मुंबई में गया था. फिर अचानक वो ग़ायब हो गया. बाद में कानपुर में यूपी की स्पेशल टास्क फ़ोर्स ने जलीस को गिरफ़्तार कर लिया. ये बात 17 जनवरी की है.
जलीस जैसे ही एक मस्जिद से बाहर निकला, एसटीएफ़ की टीम ने उसका पीछा किया. एसटीएफ़ को चकमा देने के लिए वे एक बच्चे की उँगली पकड़ कर चलने लगा. फिर वे रेलवे स्टेशन के पूछताछ केन्द्र पर चला गया.
आतंकी घटना को अंजाम देने के फिराक में था जलीस अंसारी
एसटीएफ़ के एक अफ़सर ने उससे बताया कि हमारी मुलाक़ात अजमेर जेल में हुई थी. जलीस ने कहा मुझे कुछ याद नहीं आ रहा है. इसी बीच दूसरे अधिकारी ने उसकी फ़ोटो मुंबई पुलिस को भेजी. जब ये तय हो गया कि वही जलीस अंसारी है. तो एसटीएफ़ ने उसे धर दबोचा.
कानपुर पहुंच कर डॉक्टर जलीस अंसारी आतंकी घटना करने की फ़िराक़ में था. इसके लिए वो नई तकनीक से बम बनाने पर काम कर रहा था. एसटीएफ़ के आईजी अमिताभ यश ने एबीपी न्यूज़ को ये जानकारी दी. उन्होंने बताया कि जलीस कानपुर के अपने पुराने नेटवर्क को एक्टिव कर चुका था.
सुप्रीम कोर्ट के राम मंदिर पर फ़ैसले के बाद से ही वो बदला लेने की बात करता रहता था. कानपुर में रह कर वो पहले भी कई बम धमाके कर चुका है. इसी मामले में उसे अदालत से आजीवन कारावास की सजा मिल चुकी है.
कई जगहों पर धमाका करवा चुका है जलीस अंसारी
1993 में कानपुर में बैठ कर उसने हावड़ा से दिल्ली और दिल्ली से हावड़ा राजधानी एक्सप्रेस में बम धमाके करवाए. उसी साल उसने मुंबई के आज़ाद मैदान में चार बम ब्लास्ट करवाये. फिर उसने जयपुर में जावेरी बाज़ार और हवा महल के पास तीन बम धमाके करवाये. इस केस में जलीस और उसके साथी अवरेर अहमद अंसारी के अदालत से सजा हो चुकी है.
आतंक की दुनिया में डॉ जलीस अंसारी को डॉक्टर बम के नाम से जाना जाता है. हम बनाने की ट्रेनिंग उसे अब्दुल करीम टुंडा से मिली. 1984 में उसने एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की. मुंबई के महानगर पालिका के अस्पताल से नौकरी शुरू की. फिर अपने क्लिनिक में ही बम बनाने लगा. ये सब उसने मरीज़ों को देखने के बहाने किया.
सौ लोगों को दे चुका है बम बनाने की ट्रेनिंग
देश भर में उसने कम से कम सौ लोगों को बम बनाने की ट्रेनिंग दी है. जलीस पाकिस्तान जाकर आतंकी ट्रेनिंग भी ले चुका है. प्रतिबंधित संगठन सिमी के लोगों को भी उसने ट्रेनिंग दी.
लेकिन, सबसे बड़ा सवाल ये है कि जलीस अंसारी की मदद कानपुर में किन लोगों ने की. उसने शुरुआती पूछताछ में बताया है कि वो बाज़ार में उपलब्ध चीजों से बम बनाने के मिशन पर था. उसने एक स्लीपर नेटवर्क भी तैयार कर लिया था. तो फिर इस नेटवर्क के बाक़ी लोग कौन हैं? एसटीएफ़ ने जलीस अंसारी को मुंबई पुलिस को सौंप दिया है. लेकिन इन सारे सवालों के जवाब आने अभी बाक़ी हैं.
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