नई दिल्ली: 1993 बम धमाकों के केस में मुंबई की विशेष टाडा अदालत ने अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम समेत सात में से कुल 6 आरोपियों को दोषी करार दे दिया है. कोर्ट ने अबू सलेम, मुस्तफा दोसा, रियाज सिद्दीकी, करीमुल्ला खान, फिरोज अब्दुल, रशीद खान और ताहिर मर्चेंट को दोषी ठहराया है. साथ ही सातवें आरोपी अब्दुल कैयूम को सबूत के अभाव में कोर्ट ने बरी कर दिया है.


साल 2007 में पूरे हुए सुनवाई के पहले चरण में टाडा अदालत ने इस मामले में याकूब मेनन और संजय दत्त सहित सौ आरोपियों को दोषी ठहराया था जबकि 23 लोग बरी हुए थे. याकूब मेनन को पिछले साल 30 जुलाई को इस मामले में फांसी हो गई थी. वहीं संजय दत्त भी इस मामले में अपनी सजा काटकर जेल से बाहर आ चुके हैं. आज इस केस के दूसरे फेज का फैसला आया  है. कोर्ट ने सात में से 6 को दोषी ठहरा दिया है और इस मामले में सोमवार से सजा को लेकर कोर्ट में बहस शुरू होगी.


12 मार्च 1993 को मुंबई में हुए 13 सीरियल बम धमाकों ने देश को हिलाकर रख दिया था. इस धमाके में करीब 257 लोगों की मौत हो गई थी और करीब 700 से अधिक घायल हुए थे. इसमें 27 करोड़ रूपये की सम्पत्ति नष्ट हो गई थी.




  • इस केस में आज अबु सलेम को हथियारों का परिवहन करने का दोषी करार दिया गया. सलेम ने संजय दत्त को एके 56 राइफलें, 250 कारतूस और कुछ हथगोले 16 जनवरी 1993 को उनके आवास पर उन्हें सौंपे थे. दो दिन बाद 18 जनवरी 1993 को सलेम तथा दो अन्य दत्त के घर गये और वहां से दो राइफलें तथा कुछ गोलियां लेकर वापस आए थे.

  • यहां ये भी बता दें कि अबू सलेम का 2005 में पुर्तगाल से प्रत्यर्पण हुआ था. इस केस में अबू सलेम को दोषी करार तो दे दिया गया है लेकिन उसे फांसी की सजा नहीं हो सकती क्योंकि पुर्तगाल से प्रत्यर्पण इसी शर्त पर हुआ था कि सलेम को मौत की सजा नहीं दी जाएगी.

  • इस केस में मुख्य मास्टरमाइंड मुस्तफा दोसा को टाडा कोर्ट ने आपराधिक साजिश और हत्या का दोषी ठहराया है. उसे अपने भाई मोहमम्द दोसा के साथ मिलकर विस्फोट को अंजाम देने के लिए हथियारों व गोला-बारूद की व्यवस्था करने और विस्फोट में शामिल कुछ लोगों की मुलाकात अंडरवर्ल्ड माफिया डॉन दाऊद इब्राहिम कासकर से मुलाकात कराने के लिए उनकी यात्रा की व्यवस्था करने का भी दोषी पाया गया.

  • इसके अलावा इस केस के आरोप अब्दुल कय्यूम को कोर्ट ने सबूतों के अभाव में बरी कर दिया.


मुंबई बम धमाकों का मुख्य आरोपी दाऊद इब्राहिम 1995 से फरार घोषित है और पाकिस्तान की सरपरस्ती में छिपा बैठा है. आने वाले फ़ैसले का असर फरार आरोपियों के प्रत्यार्पण में भी मदद साबित होगा.