नई दिल्ली: दिल्लीवालों पर आने वाले 12-14 घंटे भारी पड़ सकते है, यमुना नदी की तस्वीर बेहद भयावह हो सकती है. देहरादून के डाकपत्थर बैराज से नदी में करीब ढाई लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है जिससे पानी बेहद खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है, यहां से पानी सीधा हथनीकुंड बैराज पहुंचेगा. इस पानी को दिल्ली तक पहुंचने में 12-14 घंटे लगते हैं. 2013 की त्रासदी में 2 लाख 78 हज़ार क्यूसेक पानी गया था. डाकपत्थर बैराज के सोलर प्लांट की दीवार उखड़ कर यमुना नदी में बह गई है. सोलर प्लांट में पानी घुसना शुरू हो गया है. कई टीमें सोलर प्लेट खोलने में लगी हैं, जिससे प्लांट को नुकसान को बचाया जा सके.
हिमाचल प्रदेश में तो बारिश ऐसी आदमखोर बनी कि आठ लोगों की जान ले ली. शिमला में कई जगह लैंड स्लाइड हुआ है जिसके मलबे में दबकर लोगों की मौत हुई है. शिमला में प्रशासन ने सोमवार को स्कूल बंद रखने की घोषणा की है. हिमाचल के दूसरे हिस्सों में भी बारिश और बाढ़ कहर बन कर लोगों को डरा रही हैं.
उत्तराखण्ड का उत्तरकाशी जिला भारी बारिश की वजह से सबसे ज्यादा प्रभावित है. उत्तरकाशी में बादल फटने की घटना हुई है लेकिन इसमें कितना बड़ा नुकसान हुआ है, इसका अभी अंदाजा नहीं लग पाया है. हिमाचल के बॉर्डर से सटे उत्तराखण्ड के त्यूणी में तो टौंस नदी बहुत डरा रही है. नदी का वेग इतना भीषण है कि त्यूणी बाजार के लोग किसी अनहोनी की आशंका में अपने घरों से बाहर निकल आए. प्रशासन ने बाजार खाली कराने के निर्देश दिए हैं.
उत्तराखण्ड के केदारनाथ इलाके में मंदाकिनी नदी विकराल रूप धारण किए हुए हैं. केदारनाथ धाम में मंदाकिनी नदी पर आवाजाही के लिये बनाई गई अस्थाई पुलिया भी नदी के तेज बहाव की भेंट चढ़ गई है. जबकि रामबाड़ा में पैदल आवाजाही के लिये बनाया गया पुल भी नदी के तेज बहाव के कारण क्षतिग्रस्त हो गया है.
केदारनाथ हाईवे भी बारिश के चलते बांसबाड़ा, भीरी, डोलिया देवी, जामू जैस जगहों पर क्षतिग्रस्त हो गया है. हाईवे पर जगह-जगह यात्री और स्थानीय लोग फंसे हुये हैं, जो हाईवे खुलने का इंतजार कर रहे हैं. भूस्खलन होने की वजह से कई जगह गाड़ियां फंस गई हैं...
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