नई दिल्लीः हैदराबाद में पशु चिकित्सक (वेटनरी डॉक्टर) के साथ गैंगरेप और जलाकर मारने वाले आरोपियों को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है. पुलिस के मुताबिक चार में दो आरोपियों ने कबूल किया था कि वह पहले भी नौ अन्य महिलाओं के साथ इस तरह की घटना को अंजाम दे चुका था. एनकाउंटर किए गए आरोपियों के बारे में जांच पड़ताल के लिए साइबरबाद पुलिस तेलंगाना-कर्नाटक सीमावर्ती क्षेत्रों में पहुंची है. पुलिस आरोपियों के बारे में जानकारी जुटाने के लिए जांच पड़ताल में जुटी हुई है.
पुलिस ने बताया, ''दो आरोपियों ने बलात्कार और हत्या के नौ अपराध कबूल किए.'' पुलिस अधिकारी ने बताया, ''सभी मामलों की पुष्टि के लिए जांच टीम को अलग-अलग जगहों पर भेजा जा रहा है.''
बता दें कि आरीफ, जे नवीन, जे शिवा और चेन्नेसावलु नाम के चार लोगों पर आरोप है कि इन लोगों ने मिलकर पहले डॉक्टर के साथ गैंग रेप किया और फिर उसे जलाकर मारा डाला था.
आज हो सकती है सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
हैदराबाद एनकाउंटर केस में पुलिसकर्मियों पर केस दर्ज करने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई होगी. याचिका में आरोप लगाया गया है कि तेलंगाना पुलिस ने अपनी हिरासत में मौजूद गैंगरेप व मर्डर के 4 आरोपियों को गैरकानूनी ढंग से एनकाउंटर कर मार डाला है.
क्या थी घटना
26 नवंबर की रात हैदराबाद में अपनी ड्यूटी से लौट रही 27 साल की एक वेटनरी डॉक्टर (पशु चिकित्सक) को अगवा किया गया था. उनका बलात्कार करने के बाद उनकी हत्या की गई थी और उन्हें पेट्रोल से जला दिया गया था. इस घटना से पूरे देश में गुस्से की लहर दौड़ पड़ी थी. हैदराबाद पुलिस ने 4 आरोपियों को इस मामले में गिरफ्तार किया.
6 दिसंबर को तड़के करीब 3 बजे पुलिस की एक टीम चारों को लड़की को जलाने की जगह पर ले कर गई. उसका मकसद वारदात के घटनाक्रम की जानकारी जुटाने के साथ कुछ सबूतों की बरामदगी थी. पुलिस के दावे के मुताबिक वहां आरोपी पुलिस पर हमला कर भागने लगे. इस वजह से उनका एनकाउंटर किया गया और चारों मारे गए.
3 वकीलों की याचिका
इस बीच सुप्रीम कोर्ट में तीन वकीलों ने याचिका दायर कर पूरे मामले को संदिग्ध बताया. वकीलों का कहना है कि पुलिस ने जिस तरह से चारों लोगों को मार गिराया, वह सीधे-सीधे दबाव का नतीजा नजर आता है.
हैदराबाद एनकाउंटरः जगन मोहन रेड्डी ने की CM चंद्रशेखर राव की तारीफ, कहा- उनको मेरा सलाम
वकीलों ने कहा कि कार्यवाही पुलिस नियमावली के खिलाफ थी. इस तरह से न्यायिक प्रक्रिया की उपेक्षा कर पुलिस का खुद इंसाफ करना सही नहीं है. पुलिस ने जो कार्यवाही की वह सुप्रीम कोर्ट के भी पुराने फैसलों की अवहेलना है. ऐसे में मामले की निष्पक्ष जांच कराई जानी चाहिए.
तेलंगाना सरकार ने किया था विरोध
तेलंगाना सरकार की तरफ से कोर्ट में पेश हुए वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को मामले में दखल नहीं देना चाहिए. उन्होंने कहा, "चारों आरोपियों ने पुलिस की पिस्टल छीन ली थी और गोली चला रहे थे. उन्होंने पत्थरों से भी हमला किया. चेतावनी देने के बावजूद समर्पण नहीं किया और भागने लगे. तब पुलिस ने गोली चलाई.''
3 जजों की बेंच की अध्यक्षता कर रहे चीफ जस्टिस एस ए बोबडे ने रोहतगी के बयान पर हैरानी जताई. उन्होंने पूछा, "क्या सभी आरोपियों के पास पिस्टल थी. चारों को मार गिराने की नौबत क्यों आई? हम यह समझ नहीं पा रहे हैं."
हैदराबाद एनकाउंटर की जांच के लिए SC ने बनाया आयोग, 6 महीने में आएगी रिपोर्ट