नई दिल्ली: सीबीआई की अंदरूनी कलह के बाद हटाए गए निदेशक आलोक वर्मा के घर के बाहर से आज सुबह साढ़े सात बजे चार संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया. पकड़े गए चारों संदिग्धों ने को आईबी ने अपना माना है. पकड़े जाने के बाद सभी ने अपने आईबी अधिकारी होने का दावा किया था. इन संदिग्धों को आलोक वर्मा के पीएसओ ने पकड़ा था, इसके बाद दिल्ली पुलिस को बुलाया गया. इन लोगों के पास मिले दस्तावेज भी जांचे गए.


आईबी ने सफाई में क्या कहा?
गृहमंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक पकड़े गए लोग आईबी के ही अधिकारी हैं. पूरे मामले पर इंफॉर्मेशन ब्यूरो के सूत्रों ने कहा, ''ऐसे अधिकारी रूटीन ड्यूटी पर होते हैं लिहाजा वह अपने साथ में आईडी कार्ड भी रखते हैं. इस तरह निगरानी करने का यह मतलब नहीं कि हम कोई खुफिया मिशन चला रहे हैं.''


गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, "इसी तरह की एक यूनिट को आज सुबह जनपथ पर रोका गया जो यह देख रही था कि आखिर इतनी भीड़ क्यों लगी हुई है. वजह यह थी कि यह एक संवेदनशील इलाका है और ऐसे में इतने सारे लोगों की उपस्थिति देख यह टीम वहां रुक गई थी.'' सूत्रों के मुताबिक, ''टीम मौजूदगी को अलग तरह से पेश किया गया. जिस तरीके से इन लोगों के आई कार्ड और बाकी जानकारी रिलीज कर दी गई वह ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट का उल्लंघन है.''


कैसे पकड़े गए संदिग्ध?
आलोक वर्मा का घर 2 जनपथ पर है और इनके घर के सामने तीस जनवरी लेन है. वहां सफेद रंग की गाड़ी सिलेरियो में ये लोग थे, इनसे पूछताछ की गई. इन्होंने भागने की कोशिश की, सुरक्षाकर्मियों ने चारों को पकड़ा. पुलिस ने कार भी बरामद कर ली है.


पकड़े गए लोगों ने IB से होने का दावा किया था
जानकारी के मुताबिक पकड़े गए चारों लोगों ने खुद को आईबी से जुड़ा बताया. पुलिस पूछताछ में इन चारों संदिग्धों ने अपने के नाम धीरज कुमार (दावा- जूनियर इंटेलिजेंस ऑफिसर), अजय कुमार (दावा-जूनियर इंटेलिजेंस ऑफिसर), प्रशांत कुमार (दावा- असिस्टेंट कंटेंट ऑफिसर), विनीत कुमार (दावा- असिस्टेंट कंटेंट ऑफिसर) हैं. इनके पास से 3 मोबाइल फोन और आईपैड बरामद हुए हैं.


कल ही छुट्टी पर भेजे गए वर्मा और अस्थाना
देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई में कल दिन भर हलचल मची रही. दोनों टॉप अफसरों के एक-दूसरे पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप के बाद सरकार एक्शन में आयी. आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेज दिया गया. ज्वाइंट डायरेक्टर एम नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम डायरेक्टर बनाया गया. छुट्टी पर भेजे जाने के खिलाफ निदेशक आलोक वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है.


सरकार ने पूरे मामले पर क्या सफाई दी?
अरुण जेटली ने कहा कि सीबीआई देश की प्रीमियर जांच एजेंसी है. उसकी गरिमा बनी रहे यह जरूरी है. सीबीआई की संस्थागत गरिमा बनाए रखना और इस दिशा में कदम उठाना अनिवार्य है. राफेल डील की जांच की वजह से आलोक वर्मा की छुट्टी किये जाने के विपक्षी दलों के आरोपों को जेटली ने बकवास बताया.


उन्होंने कहा, ''क्या दो अधिकारी जो जांच का सामना कर रहे हैं वो ही अपनी जांच करवाएं? विपक्ष के आरोप बकवास हैं.'' जेटली ने आगे कहा कि विपक्ष अगर किसी अधिकारी का समर्थन करता है तो उससे अधिकारी की छवि को भी नुकसान होगा. सीबीआई पर सवाल उठे तो इसका फायदा घोटालेबाजों को ही होगा.


CBI की अंदरूनी कलह का पूरा मामला है क्या?
सीबीआई के वर्तमान स्पेशल निदेशक राकेश अस्थाना समेत चार लोगों के खिलाफ खुद सीबीआई ने रिश्वत लेने का मुकदमा दर्ज कर लिया. सीबीआई ने इस मामले मे अपने ही डीएसपी देवेंद्र कुमार पर छापा मार कर आठ मोबाइल फोन बरामद किए. डीएसपी देवेंद्र कुमार को गिरफ्तार किया गया, फिलहाल वो रिमांड पर है.


सीबीआई ने इस मामले में जो एफआईआर दर्ज की है उसमें स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना जो सीबीआई के नंबर दो अधिकारी हैं. इन पर मशहूर मीट कारोबारी मोइन कुरैशी के मामले में सतीश साना नाम के एक शख्स से दो करोड रुपये की रिश्वत लेने का आरोप लगाया गया है. सीबीआई ने अपनी एफआईआर में यह भी कहा कि इस रिश्वत कांड के तार दिल्ली से लेकर दुबई तक जुड़े हुए है.


सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना ने भी इस एफआईआऱ पर पलटवार किया और कहा कि उनके खिलाफ ये मुकदमा सोची समझी साजिश के तहत दर्ज किया गया है. अस्थाना के मुताबिक वो खुद निदेशक आलोक वर्मा के भ्रष्टाचार के आरोपों की फेहरिस्त प्रधानमंत्री कार्यालय औऱ केन्द्रीय सर्तकता आय़ुक्त को अगस्त माह में ही दे चुके है. यह भी आरोप लगाया गया कि दो करोड रुपये की रिश्वत उन्होने नहीं सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा ने ली है.