क्या दिल्ली में उपचुनाव होंगे या केजरीवाल के पास कोई रास्ता बचा है?
सवाल उठता है कि अगले 6 महीने में दिल्ली में उपचुनाव होंगे या केजरीवाल को राहत मिलने के रास्ते या विकल्प अभी भी बचे हुए हैं?
नई दिल्ली: चुनाव आयोग की सिफारिश पर राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के साथ ही आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी गई है. राष्ट्रपति के इस फैसले के बाद दिल्ली में राजनीतिक तूफान आना लाजमी है, लेकिन सवाल उठता है कि अब सूबे की राजनीति किस करवट बैठेगी और आम आदमी पार्टी के पास आगे क्या-क्या विकल्प बचे हैं.
सवाल उठता है कि अगले 6 महीने में दिल्ली में उपचुनाव होंगे या केजरीवाल को राहत मिलने के रास्ते या विकल्प अभी भी बचे हुए हैं?
अब क्या होगा?
जानकारों के मुताबिक आम आदमी पार्टी के पास अब एक ही विकल्प बचा है और वो है अदालत का दरवाज़ा खटखटाना. जैसे ही केंद्र सरकार ने राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद अधिसूचना जारी करके फैसले की जानकारी दी. केजरीवाल सरकार के मंत्री गोपाल राय ने फैसले को अदालत में चुनौती देने का एलान कर दिया.
हालांकि, इसके साथ ही गोपाल राय ने यह भी कह दिया कि वो चुनाव से डरने वाले नहीं हैं. पहले भी दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा था कि वो कोर्ट का रास्ता अपनाएंगे. सिसोदिया ने इशारा दिया था कि अगर अदालत से भी ये स्थिति पैदा होती है तो जनता की अदालत में जाएंगे.
कोर्ट जाएंगे आप के विधायक?
दरअसल, इस मामले में एक याचिका हाई कोर्ट में लंबित है और इसपर सोमवार को सुनवाई होनी है. इस मामले में शुक्रवार को आप के विधायकों ने चुनाव आयोग की सिफारिश पर रोक लगाने की मांग की थी, लेकिन हाईकोर्ट ने इसपर रोक नहीं लगाई.
अब जब राष्ट्रपति ने चुनाव आयोग की सिफारिश को मंजूर कर लिया है. उस याचिका का अब कोई मतलब नहीं रह गया है. अब आम आदमी पार्टी को नई याचिका दायर करनी पड़ेगी.
आपको बता दें कि अगर आम आदमी पार्टी को अदालत से राहत नहीं मिलती है तो दिल्ली में इन 20 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होंगे.
क्यों सदस्यता रद्द की गई?
आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों पर लाभ के पद पर रहने का आरोप है और चुनाव आयोग ने इसे सही माना था. निर्वाचन आयोग ने राष्ट्रपति से 20 आप विधायकों को लाभ के पद पर काबिज होने के कारण अयोग्य घोषित करने की सिफारिश की थी, जिसे रामनाथ कोविंद ने मंजूर कर लिया है.