इलाहाबाद: उत्तर प्रदेश की पूर्ववर्ती सरकार द्वारा पेश तस्वीर के उलट 2011-16 के दौरान कक्षा 2 से 7 तक के बच्चों का प्रति वर्ष कुल ड्रॉप आउट :पढ़ाई बीच में ही छोड़ने वाले बच्चों की संख्या: औसतन 20 लाख रही.
प्रधान महालेखाकार पी. के. कटारिया ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2011-16 की अवधि में बच्चों का औसत ड्रॉप आउट सालाना 63,000 था. वहीं जिला शिक्षा सूचना प्रणाली के आंकड़ों के विश्लेषण से स्पष्ट हुआ कि राज्य में ड्रॉप आउट बच्चों की संख्या 11.56 लाख से 27.45 लाख के बीच थी.
उन्होंने कहा कि जहां 2010-11 से 2015-16 की अवधि में कक्षा 2 से 5 तक के बच्चों का ड्रॉप आउट संबंधित वर्ष के कुल ड्रॉप आउट के 8 प्रतिशत से 16 प्रतिशत के बीच था, वहीं कक्षा 5 से कक्षा 6 में जाने के दौरान ड्रॉप आउट संबंधित वर्ष के कुल ड्रॉप आउट के 38 प्रतिशत से लेकर 100 प्रतिशत तक था.
कटारिया ने बताया कि घरेलू सर्वेक्षण में कक्षा 5 के बाद पढ़ाई बीच में छोड़ने के मुख्य कारणों में घरेलू कामकाज.खेती, पारंपरिक शिल्प कार्यों में बच्चों को लगाना, छोटे बच्चों की देखभाल, गरीबी आदि शामिल हैं.