20 Years of Kargil War: कारगिल के युद्ध के दौरान इंडियन आर्मी के चीफ रहे वेद प्रकाश मलिक ने एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत की और उस युद्ध के शौर्य गाथा का बखान किया. उन्होंने बताया कि हमने युद्ध प्लान किया और हमारा पहला हमला तोलोलिंग पहाड़ी हुआ. यहां लड़ाई लगभग 10 दिन चली थी. जब तक हमने तोलोलिंग को दोबारा अपने कब्जे में नहीं लिया तब तक का समय काफी तनाव भरा था. तोलोलिंग एक खास चोटी है जो बिल्कुल डोमिनेंट करती है.


वेद प्रकाश मलिक ने आगे कहा कि कारगिल युद्ध से सबसे बड़ी सबक जो हमे मिली वह यह कि जब इंटेलिजेंस वीक हो, हमारे ट्रूप्स ग्राइंड पर अलर्ट न हो, हथियार कम हो तो दुश्मन इसका फायदा उठाएगा.


पुलवामा हमले को क्या कारगिल युद्ध के दौरान हुए इंटेलिजेंस फेलियर से जोड़ा जा सकता है. इसके जवाब में वेद प्रकाश मलिक ने कहा कि कारगिल के दौरान हमारा बड़ा इंटेलिजेंस फेलियर था क्योंकि किसी को कुछ पता नहीं था कि पाकिस्तानी आर्मी ऐसा करने के बारे में सोच रही है. सबने कहा कि घुसपैठिए जिहादी हैं, लेकिन वह पाकिस्तानी आर्मी के लोग थे. पुलवामा में भी इतना आरडीएक्स इकट्ठा हुआ तो वह भी एक किस्म का इंटेलिजेंस फेलियर ही है. मैं यही कहूंगा खुफिया तंत्र कभी कमजोर नहीं होना चाहिए.


कारगिल युद्ध में शहीद हुए सैनिकों को लेकर उन्होंने कहा कि एक भी सैनिक शहीद होता है तो उसका मलाल तो होता ही है.कोई भी ऐसा ऑफिसर नहीं होगा जिसके सिपाही शहीद हो तो वह दुखी नहीं होगा. जब हम लोगों की युद्ध के दौरान मीटिंग हुआ करती थी तो सबसे पहले हम लोगों को यही बताया जाता था कि पिछले 24 घंटे में हमने कितने जवान खो दिए. यह सबसे दुखद पल होता था. मैं हमेशा कहता हूं ये युद्ध जो हमने जीती वह युवा जवानों और ऑफिसरों की वजह से जीती थी. हम लोग प्लानिंग कर रहे थे लेकिन लड़ाई लड़ने वाले तो वहीं लोग थे.


आज की नरेंद्र मोदी सरकार और कारगिल युद्ध के समय प्रधानमंत्री रहे अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के बीच क्या अंतर देखते हैं ? इस सवाल पर उन्होंने कहा कि दोनों के कार्यकाल में 20 साल का फर्क है. आज परिस्थितियां बिल्कुल अलग है. हमे उस वक्त जो निर्देश दिए गए कि लाइन ऑफ कंट्रोल क्रोस नहीं करना है. वो काफी हद तक उस समय के हिसाब से सही थे. हम लोग उस वक्त रिएक्शन मोड में थे. आज समय अलग है. आज हम प्रो एक्टिव मोड में आ गए हैं. उरी हमले के बाद हमने सर्जिकल स्ट्राइक की और फिर पुलवामा के बाद बालाकोट में एयर स्ट्राइक की. मैं यही कहूंगा आज परिस्थितियां अलग है.


परवेज मुशर्रफ के बारे में उन्होंने कहा कि जब वह पाकिस्तानी आर्मी में सेना अध्यक्ष थे तो वह बतौर सेनाअध्यक्ष फेल रहे. उन्होंने सोचा कि हमारे जमीन पर कब्जा करें लेकिन वह हमेशा नाकामयाब हुए. उन्होंने कारगिल शुरू तो कर दिया सलेकिन उसका अंत नहीं देखा.


वेद प्रकाश मलिक ने कहा शुरुआती 15 दिन युद्ध के हम लोगों में बहुत कन्फ्यूजन था. हमें नहीं मालूम था कि ये लोग कहां-कहां बैठे हुए हैं. जब मुझे यकीन हुआ कि ये लोग जिहादी नहीं हैं बल्कि पाकिस्तान की आर्मी सारी कार्रवाई को अंजाम दे रही है. फिर हमने बिना सोचे लड़ाई का काम किया. अगर हमें इजाजत मिल जाती एलओसी क्रॉस करने की तो हम और जगह कैप्चर कर सकते थे. मैं कई बार सोचता हूं यह अच्छा रहता.


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