2000 Rupee Currency Note: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के दो हजार रुपये के नोट को वापस लेने के फैसले को देश के पूर्व आर्थिक सलाहकार डॉ. कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन ने सही कदम बताया है. 2018 से 2021 तक आर्थिक सलाहकार रहे सुब्रमण्यन ने कहा कि 2000 के नोट का उपयोग कम हो चुका था और इसका इस्तेमाल मुख्य रूप से जमा करने के लिए किया जा रहा था. उन्होंने इस फैसले के समर्थन में 6 कारण गिनाए हैं.


आरबीआई ने शुक्रवार (19 मई) को 2000 रुपये के नोटों को संचलन से वापस लेने की घोषणा की थी. इस फैसले के बाद विपक्षी दलों ने मोदी सरकार पर हमला बोला है.  500 और 1000 के पुराने नोट बंद किए जाने के बाद नवंबर 2016 में 2000 के नोट जारी किए गए थे. अब करीब सात साल बाद इन्हें वापस ले लिया गया है. पूर्व आर्थिक सलाहकार ने नोटों को वापस करने के समर्थन में ये वजह बताई है.


2000 के नोट बंद करना क्यों जरूरी ?


1- कई जगहों पर रेड के दौरान 2000 के नोट मिले थे. इससे साबित होता है कि करेंसी का उपयोग मुख्य रूप से धन की जमाखोरी के लिए किया जा रहा था. उन्होंने कहा कि 80 प्रतिशत लोग जो वैध रूप से इस करेंसी को रखे हैं, उनके पास सिर्फ 20 प्रतिशत ही जमा है. वहीं, 20 प्रतिशत जमाखोरों के पास 2000 के जमा नोटों का 80 प्रतिशत होने की संभावना है.


2- इस कदम से आम लोगों को असुविधा नहीं होगी, क्योंकि आर्थिक लेनदेन के लिए बड़ी संख्या में 2,000 रुपये के नोटों का उपयोग नहीं किया जा रहा है.


3- फिजिकल करेंसी के रूप में नोटों, खासतौर से 2000 के नोटों की भूमिका में गिरावट आई है, क्योंकि बड़ी संख्या में लोग डिजिटल पेमेंट कर रहे हैं.


4- 2000 रुपये के नोट की जगह 500 के नोट (डिजिटल धन के साथ) का उपयोग विनिमय के माध्यम के रूप में किया जा सकता है.


5- डिजिटल लेनदेन अब से 2026 (BCG रिपोर्ट) तक 3 गुना बढ़ने की उम्मीद है, जिससे आने वाले वर्षों में विनिमय के माध्यम के रूप में 2000 रुपये के नोट की आवश्यकता और भी कम हो जाएगी.


6- कृष्णमूर्ति ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण बात है कि आरबीआई ने कहा है कि 2000 का नोट वैध मुद्रा बना रहेगा. ऐसे में 2000 का नोट रखने वाले इसे एक्सचेंज कर सकते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि उनकी समझ से यह तारीख बढ़ भी सकती है. हालांकि इसके लिए आरबीआई के आदेश की जरूरत होगी.


यह भी पढ़ें


Rs 2000 Note Exchange: दो हजार के नोट पर जबरदस्त सियासत, कांग्रेस बोली- जब बंद ही करना था तो लाए क्यों, बीजेपी ने गिनाए फायदे