Public Opinion On 2000 Rupee Note: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के 2000 हजार रुपये को नोटों को लेकर शुक्रवार (19 मई) को आए फैसले के बाद देश में राजनीतिक भूचाल मच गया. विपक्ष लगातार सरकार पर हमलावर है. विपक्षी दल सवाल पूछ रहे हैं कि जब ये नोट बंद ही करना था तो लेकर क्यों आए? वहीं जनता की राय विपक्ष से बिल्कुल अलग है. ज्यादातर लोग इस फैसले के साथ खड़े नजर आए.


कांग्रेस नेता सचिन पायलट कहते हैं कि नोटबंदी हुई थी तब कहा गया कि इससे कालाधन खत्म हो जाएगा, जाली नोट खत्म हो जाएंगे. वो सब तो हुआ नहीं. अब अचानक से सूचना आई है कि 2000 के नोट बंद कर रहे हैं तो ऐसा भूचाल लाने की जरूरत क्या है? इस पर आम जनता का कहना है, “जो बड़े-बड़े लोग हैं उनकी कमर टूटी है. हमारे पास होंगे भी तो ज्यादा से ज्यादा दो या तीन नोट घर पर पड़े होंगे. इससे ज्यादा नहीं होंगे. इसलिए हमारे लिए तो कोई टेंशन वाली बात ही नहीं.”


‘सरकार का सराहनीय कदम’


दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल का कहना है, “कभी कहते हैं कि भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए 2 हजार रुपये का नोट लेकर आए, कभी कहते हैं भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए इसे हटा दिया. मतलब समझ में नहीं आ रहा है कि सरकार कर क्या रही है, पूरे देश को लाइनों में लगाए रखते हैं.”


वहीं, जनता का कहना है, “हमारे हिसाब से सरकार का ये सराहनीय कदम है. हम नागरिकों को कोई तकलीफ नहीं होगी. ये फैसला राष्ट्रहित में है और इससे देश को फायदा ही होगा.”



नोट वापस लेने का फैसला क्यों?


इस सवाल पर विशेषज्ञों का कहना है कि लेनदेन में आमतौर पर दो हजार के नोट का इस्तेमाल नहीं हो रहा है. ये क्लीन नोट पॉलिसी के तहत फैसला लिया गया है. बाजार से 2 हजार के नोट लगातार घटते गए. 31 मार्च 2018 में इन नोटों का मूल्य 6.73 लाख करोड़ रुपये था जो 31 मार्च 2023 में घटकर 3.62 लाख करोड़ रुपये हो गया. तो ऐसे में नोट बंद हो जाने पर किसको चोट लगेगी, ये आने वाला वक्त बताएगा.


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