अरूणाचल के सियासी इतिहास में बेहद महत्वपूर्ण रहा वर्ष 2016
इटानगर: अरूणाचल प्रदेश के राजनीतिक इतिहास में वर्ष 2016 खासा महत्वपूर्ण रहा जिसमें कई महीनों तक चली सियासी उथलपुथल में प्रदेश ने छोटी सी अवधि में तीन मुख्यमंत्री देखे और अल्पावधि के लिए यहां राष्ट्रपति शासन भी लगाया गया.
लंबे चले सियासी नाटक में राज्यपाल पी राजखोवा को 22 सितंबर को पद से हटा दिया गया. पर्यवेक्षकों के मुताबिक ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि वह राज्य में ‘‘भाजपा के नेतृत्व वाली या भाजपा द्वारा पोषित सरकार’’ को लंबे तक टिकाए रखने में कामयाब नहीं हुए.
- हायुलियांग विधानसभा क्षेत्र में 19 नवंबर को हुए उप चुनाव में दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री कालिखो पुल की तीसरी पत्नी दासांगलु पुल भाजपा के टिकट पर खड़ी हुई थीं. इसमें वह विजयी रहीं.
- कालिखो पुल के निधन के कारण यहां चुनाव जरूरी हो गया था.
- गत नौ अगस्त को मुख्यमंत्री के आधिकारिक बंगले में कालिखो पुल फांसी पर लटके मिले थे.
- राज्य में 450 करोड़ रूपये का बिजली घोटाला भी सामने आया जिसमें केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरन रिजिजू पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे.
- विपक्षी कांग्रेस ने केंद्रीय मंत्रिमंडल से रिजिजू को पद से हटाने और मामले की सीबीआई जांच की मांग की है. हालांकि भाजपा नेता ने इन आरोपों से इनकार किया है.
- इस वर्ष भूस्खलन और हादसों के कारण 30 लोगों की जान गई .
- इस सीमांत राज्य में राजनीतिक संकट अप्रैल 2015 में पुल को मंत्रिमंडल से हटाने के साथ ही शुरू हो गया था.
- मंत्रिमंडल से हटाए जाने के तुरंत बाद पुल ने तत्कालीन मुख्यमंत्री नाबाम तुकी के नेतृत्व में राज्य की खराब वित्तीय हालत पर सवाल उठाने शुरू कर दिए थे.
पुल को कांग्रेस से निष्कासित कर दिया गया, हालांकि अदालतों के हस्तक्षेप से वह इस पर रोक लगवाने में कामयाब रहे . इसके बाद, कांग्रेस के कुल 47 सदस्यों में से कुछ और विधायक उनके पाले में आ गए और नेतृत्व में बदलाव की मांग रख दी. राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मंत्रिमंडल की सिफारिश को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 26 जनवरी को मंजूरी दे दी जिसके साथ सियासी संकट और गहरा गया.
गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने पांच जनवरी को 14 कांग्रेसी विधायकों को अयोग्य घोषित किए जाने पर रोक लगा दी और छह जनवरी को उच्चतम न्यायालय ने विद्रोही विधायकों द्वारा पद से हटाए गए विधानसभा अध्यक्ष की याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जता दी.
शीर्ष अदालत ने 14 कांग्रेसी विधायकों को अयोग्य घोषित किए जाने पर रोक के गुवाहाटी उच्च न्यायालय के फैसले पर 18 फरवरी को सहमति जताते हुए राज्य में नई सरकार की राह साफ कर दी. गत 19 फरवरी को राज्य से राष्ट्रपति शासन हटा लिया गया और 20 फरवरी को पुल ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.
बहरहाल, घटनाक्रम तेजी से बदलते और उच्चतम न्यायालय ने 13 जुलाई को राज्यपाल के फैसले को असंवैधानिक करार देते हुए राज्य में तुकी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार की बहाली का आदेश दे दिया.
हालांकि तुकी ने इसके तुरंत बाद इस्तीफा दे दिया और 16 जुलाई को पेमा खांडू ने कांग्रेस सरकार की कमान संभाल ली.
शीर्ष अदालत द्वारा राज्य में कांग्रेस सरकार को बहाल करने के ठीक दो महीने बाद, 16 सितंबर को पूर्व मुख्यमंत्री तुकी को छोड़कर कांग्रेस विधायक दल के सभी सदस्य पीपल्स पार्टी ऑफ अरूणाचल प्रदेश (पीपीए) में शामिल हो गए जो नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (एनईडीए) का घटक है. इसके पीछे भाजपा का हाथ बताया गया.
अरूणाचल प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष पी रिचो ने नवंबर माह में कांग्रेसी विधायकों के पीपीए में विलय को गुवाहाटी उच्च न्यायालय की इटानगर स्थायी पीठ में चुनौती दी थी जिस पर अभी फैसला नहीं आया है. उच्चतम न्यायालय के 13 जुलाई को आए आदेश के बाद पुल के समर्थक भी 24 घंटे के भीतर कांग्रेस में लौट गए जिससे कालिखो पुल क्षुब्ध थे. इसके 24 दिन बाद वह अपने घर में मृत पाए गए.
इसी साल अरूणाचल प्रदेश को लेकर चीन ने बार बार त्यौरियां चढ़ाईं. अमेरिकी राजदूत रिचर्ड वर्मा के तवांग दौरे से गुस्साए चीन ने कहा कि इससे ‘‘भारत-चीन सीमांत क्षेत्र में बड़ी मुश्किल से हासिल शांति’’ को नुकसान पहुंच सकता है.
चीन ने करमापा उगयेन त्रिनले दोरजी के तवांग और पश्चिमी तमांग दौरे के खिलाफ भी विरोध जताया.
गत 17 नवंबर को नई दिल्ली स्थित चीनी दूतावास ने अरूणाचल प्रदेश राज्य बैडमिंटन संघ के सचिव बामांग तागो को वीजा देने से इनकार कर दिया. तागो को चीन के फुजोउ में ताइहॉट चाइना ओपन चैम्पियनशिप के लिए भारतीय बैडमिंटन टीम का प्रबंधक नामित किया गया था.
अरूणाचल प्रदेश में चीनी सेना द्वारा घुसपैठ की घटनाएं भी हुई. लांगदिंग जिले में वाका के नजदीक एनएससीन (के) के संदिग्ध आतंकियों ने सेना के जवानों के काफिले पर घात लगाकर हमला किया जिसमें असम राइफल्स के दो जवानों की मौत हो गई और आठ घायल हो गए .
विकास के मोर्चे पर राज्य सरकार ने कामकाज को कागजरहित बनाने के लिए स्टेट सिविल सेक्रेटेरिएट में ई-ऑफिस स्यूट शुरू किया.