नई दिल्ली: 2019 लोकसभा चुनाव की आहट सुनाई देने लगी है. पूर्ण बहुमत से सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को चुनौती देने के लिए विपक्षी पार्टियां गोलबंदी में जुटी है. इस बीच राजसत्ता में धर्म सत्ता के पैरोकार रहे योग गुरु बाबा रामदेव ने खुद को सर्वदलीय और निर्दलीय बताया है. उन्होंने कबीर का दोहा दोहराते हुए कहा, ''मन लागो मेरो यार फकीरी में, मन लागो मेरो यार फकीरी में, मनडो लागो मनडो लागो, मन लागो मेरा यार फकीरी में.''


2014 लोकसभा चुनाव में बाबा रामदेव ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का खुलकर समर्थन किया था,और उन्होंने जगह-जगह रैलियां कर नरेंद्र मोदी को वोट देने की अपील की थी. अब वे बदले-बदले से नजर आ रहे हैं. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की तारीफ कर रहे हैं और खुद को निर्दलीय और सर्वदलीय बताकर किसी भी दल को 2019 के लोकसभा चुनाव में समर्थन नहीं देने की बात कर रहे हैं. साथ ही रामदेव खुद को 'समाजवाद का समर्थक और कम्युनिज़्म का विरोधी' बता रहे हैं.


रामदेव ने कहा, ''मैं अब सर्वदलीय और निर्दलीय हूं. मैं 2019 में मोदी सरकार का प्रचार नहीं करूंगा.'' उन्होंने कहा कि देश में अच्छे लोगों का राज होना चाहिए, मैं और कुछ नहीं कहूंगा. साथ ही उन्होंने कहा कि 2014 में एक राजनीतिक संकट था, वो आज नहीं दिखाई देता है. रामदेव ने आगे 'मन लागो यार फकीरी में' दोहा पढ़ा.


सवाल उठता है कि आखिरी पिछले पांच सालों में क्या बदल गया कि रामदेव को कबीर का दोहराना पड़ रहा है? दरअसल, पिछले कुछ सालों में बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि का कारोबार देशभर में बड़े पैमाने पर फैला है. खाने पीने का सामान हो या कपड़े का कारोबार या तकनीक हर क्षेत्र में पतंजलि ने हाथ बढ़ाया और शानदार सफलता मिली. राज्य की सत्ता किसी भी दल के पास हो देशभर के हर शहर में पतंजलि के आउटलेट्स नजर आ जाते हैं.


योग गुरु रामदेव पिछले चार साल में लालू यादव, अखिलेश यादव जैसे बड़े विपक्षी दलों के नेताओं से भी मुलाकात कर चुके हैं. चारा घोटाला मामले में जेल में बंद लालू यादव जब कुछ महीने पहले जमानत पर बाहर आए तो रामदेव ने उनके आवास पर जाकर मुलाकात की. इससे पहले वे 2016 में लालू यादव को अपने प्रोड्क्ट्स की खासियत बताते हुए चेहरे पर 'गोल्ड क्रीम' लगाते नजर आए थे.


उनका लक्ष्य 2025 तक पतंजलि को खाद्य और उपभोक्ता उत्पाद के मामले में दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी बनाने का है. उन्होंने कल दिल्ली में उद्योग संगठन फिक्की के महिला विंग के एक कार्यक्रम में कहा कि वो अब राष्ट्र निर्माण के काम में लगे हैं. उनका मन बदल गया है और राजनीति में अच्छे लोगों को आना चाहिए. जब उनसे बदले मन के बारे में पूछा गया तो सवाल को टालते नजर आए.


2014 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस की मनमोहन सिंह के खिलाफ आंदोलन करने वाल बाबा रामदेव ने राहुल गांधी की तारीफ करते हुए कहा कि आजकल वो भी काफी मेहनत करने लगे हैं. उन्होंने पिछले दिनों एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए राहुल गांधी को दोस्त बताते हुए था कि राहुल-सोनिया भी योग करते हैं.


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उन्होंने पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों और बेरोजगारी के मसले पर कहा था कि मोदी सरकार को इसपर ध्यान देना चाहिए. उन्होंने कहा था, ''पूरे देश में बेरोजगारी एक बड़ा प्रश्न है. केंद्र और राज्य दोनों ही सरकारें उस दिशा में जितना काम करना चाहिए वो नहीं कर पा रही है.''


बाबा रामदेव और बीजेपी की सरकार के बीच तल्खी भी देखी गई. जब इसी साल जून में ग्रेटर नोएडा के पास पतंजलि फूड पार्क के प्रस्ताव को योगी सरकार ने रद्द दी. खबर मीडिया में तेजी से फैली. डैमेज कंट्रोल के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद बाबा रामदेव से बात की और संशय की स्थिति को खत्म किया. उन्होंने कहा कि फूड पार्क का लाइसेंस रद्द नहीं किया गया है.


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2019 लोकसभा चुनाव को लेकर रामदेव के बदले-बदले रुख के बीच बीजेपी रामदेव की तारीख करना नहीं भूलती है. सितंबर में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने रामदेव के आचार्यकुलम का उद्घाटन करते हुए कहा था, ''वैदिक शिक्षा बोर्ड और वैदिक शिक्षा को गांव-गांव में पहुंचाना बड़ा मुश्किल काम है जो आपने (बाबा रामदेव) हाथ में लिया है. पूरे देश की आशाएं बाबा आपसे बंधी हुई हैं.''