Court Hearing On 2020 Delhi Riots Case: दिल्ली (Delhi) की एक अदालत ने 2020 में राजधानी के उत्तर पूर्वी इलाके में हुए दंगों (2020 Delhi Riots) से संबंधित एक मामले में पांच आरोपियों को बरी कर दिया है. इस मामले में उन पर एक मोटरसाइकिल शोरूम (Bike Showroom) और दो दोपहिया वाहनों को आग लगाने का आरोप था. अदालत ने कहा कि आरोपियों पर दंगे का मामला चलता रहेगा. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचल (Additional Sessions Judge Pulastya Pramachal) ने कहा कि आरोपियों द्वारा कथित तौर पर किए गए कृत्य पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 436 नहीं लगती है. न्यायाधीश ने कहा कि निचली अदालत (Lower Court) केवल इसी अपराध (Crime) में मामला चला सकती है और इस धारा में मामला नहीं बनता.


इसके साथ ही अदालत ने मामले को संबंधित मजिस्ट्रेट अदालत में वापस स्थानांतरित कर दिया. इस धारा के तहत आग लगाने या विस्फोटक के जरिये घर आदि को नष्ट करने के इरादे से किए गए अपराध का मामला चलाया जाता है. इसके तहत आजीवन कारावास या 10 साल जेल की सजा हो सकती है. अदालत एक मामले की सुनवाई कर रही थी, जिसमें आरोपियों ने 25 फरवरी 2020 को कथित तौर पर एक मोटरसाइकिल शोरूम से कई वाहन बाहर निकाले थे और उन्हें आग लगा दी थी.


कैसे भड़के थे दंगे?


बता दें कि फरवरी 2020 में दंगे की शुरुआत उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई थी. जाफराबाद, मौजपुर, बाबरपुर, चांद बाग, शिव विहार, भजनपुरा, यमुना विहार इलाके में काफी नुकसान हुआ था. दंगों की वजह से 53 लोगों की जान चली गई थी. दंगों की पृष्ठभूमि में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019  था, जिसे लेकर काफी विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. 


22 फरवरी 2020 को करीब एक हजार प्रदर्शकारी जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के पास सीलमपुर-जाफराबाद-मौजपुर सड़क पर धरने पर बैठ गए थे. इससे सड़क तो बाधित हो गई थी, मेट्रो स्टेशन में जाने के लिए जगह नहीं बची थी. प्रदर्शकारियों के मुताबिक, वे भीम आर्मी द्वारा बुलाए गए भारत बंद के तहत धरना करने पहुंचे थे. मौके पर पुलिस और पैरामिलिट्री जवानों की तैनाती की गई थी. 


23 फरवरी को बीजेपी नेता कपिल मिश्रा अपने समर्थकों संग धरने वाली जगह पर पहुंच गए थे और कथित तौर पर प्रदर्शनकारियों को धमकाया था. कपिल मिश्रा पर दंगा भड़काने का आरोप लगा था लेकिन बीजेपी नेता ने इससे इनकार किया था. 


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