Morbi Bridge Collapse: गुजरात में हुए मोरबी पुल हादसे की जांच को लेकर बनी एसआईटी ने अपनी प्राथमिक रिपोर्ट सौंप दी है. हाल ही में राज्य ग्रामीण विकास विभाग ने इस पांच सदस्यीय एसआईटी की रिपोर्ट मोरबी नगरपालिका के साथ साझा की है. एसआईटी की प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि एक केबल से जुड़े करीब आधे तार खस्ताहाल थे और पुराने सस्पेंडर्स को नए के साथ वेल्ड कर दिया गया था.
गुजरात सरकार की ओर से बीते साल दिसंबर, 2022 बनाई गई एसआईटी की शुरुआती जांच में मोरबी पुल हादसे की वजह से जुड़ी कई चीजें सामने आई हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, मोरबी पुल हादसा होने की मुख्य वजहें केबल और पुराने सस्पेंडर्स ही बताए गए हैं. मोरबी पुल हादसे में 135 लोगों ने अपनी जान गंवाई थी.
मोरबी पुल हादसे की प्रारंभिक रिपोर्ट में और क्या निकला?
मोरबी पुल हादसे पर बनाई गई पांच सदस्यीय एसआईटी की प्रारंभिक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि 1887 में मच्छू नदी पर बने पुल पर लगाई गई दो मेन केबल में से एक काफी खस्ताहाल थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि इस केबल के करीब आधे तार पहले से ही टूटे होने की संभावना है. बीते साल 30 अक्टूबर को हुए हादसे से पहले ही ये तार टूटे हुए थे.
एसआईटी की जांच में सामने आया है कि पुल को थामने वाली सामने की ओर की मेन केबल टूटने से ही ये हादसा हुआ था. एसआईटी की रिपोर्ट के मुताबिक, रिनोवेशन के काम के दौरान ओल्ड सस्पेंडर्स (प्लेटफॉर्म डेक को केबल से जोड़ने वाली स्टील रॉड्स) को नई रॉड्स के साथ ही वेल्ड कर दिया गया था.
ओरेवा ग्रुप पर कसेगा शिकंजा
ब्रिटिश राज के दौरान मच्छू नदी पर बने मोरबी पुल की रखरखाव और इसे चलाने की जिम्मेदारी ओरेवा ग्रुप को दी गई थी. बीते साल 20 अक्टूबर को हुए मोरबी पुल हादसे को लेकर एसआईटी ने कई खामियां पकड़ी हैं. जिसमें रिपेयरिंग, रखरखाव और पुल को चलाने में ओरेवा ग्रुप की ओर से कई गलतियां की जा रही थीं.
मोरबी नगरपालिका ने जनरल बोर्ड की अनुमति के बिना ही मोरबी पुल को चलाने और रखरखाव का कॉन्ट्रैक्ट अजन्ता मैन्यूफैक्चरिंग लिमिटेड की ओरेवा ग्रुप को दे दिया गया था. इस कंपनी ने मार्च 2022 में पुल को मरम्मत के लिए बंद किया था और 26 अक्टूबर को बिना किसी अनुमति और जांच के खोल दिया था.
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