प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार (5 फरवरी, 2024) को 2024 के लोकसभा चुनाव में 370 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) की जीत का दावा किया है. उनके इस दावे को बीजेपी आत्मविश्वास बता रही है, जबकि विपक्षी दल इसको अहंकार कह रहे हैं. लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर जवाब प्रस्ताव में अपने संबोधन में बोलते हुए पीएम मोदी ने पहली बार लोकसभा चुनाव में सीटों का लक्ष्य सामने रखा.
पीएम मोदी के इस दावे के बाद विपक्ष की तरफ से बयानबाजियां शुरू हो गई हैं. राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के सांसद मनोज झा ने सवाल किया- ईवीएम पहले सेट है क्या? तो कोई इसे सपना बता रहा है. पीएम मोदी ने कहा कि जिस तरह देश का मिजाज है तो एनडीए को 400 से ज्यादा और बीजेपी को 370 सीटों पर जनता जीत दिलवाएगी. बीजेपी 435 सीटों पर चुनाव लड़ती आ रही है तो क्या इस बार और ज्यादा सीटों पर उम्मीदवार उतारने की तैयारी है. पीएम मोदी की इस गारंटी का क्या कैलकुलेशन है? इसे समझने के लिए एक बार सीटों का गणित और पिछले तीन सालों के लोकसभा चुनाव के ट्रेंड पर नजर डाल लेते हैं-
तीन साल के लोकसभा चुनाव का ट्रेंड
2009, 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो 95 सीटें ऐसी हैं, जहां बीजेपी पिछले तीन लोकसभा चुनाव जीत रही है, जबकि कांग्रेस सिर्फ 17 सीटों पर ही 2009, 2014 और 2019 में जीतती रही है. 2014 और 2019 में बीजेपी ने 173 सीटों पर जीत हासिल की, जबकि कांग्रेस के पास ऐसी सीटें 34 ही हैं. इन सीटों को बीजेपी और कांग्रेस का गढ़ माना जाता है. कमजोर सीट पर नजर डालें तो 199 सीटों पर बीजेपी तीन में से एक भी चुनाव नहीं जीती और ऐसी 309 सीटें हैं जिन पर कांग्रेस एक भी चुनाव नहीं जीत पाई. इसके अलावा, 76 सीटें ऐसी हैं जिन पर बीजेपी एक लोकसभा चुनाव जीती है और कांग्रेस के खाते में ऐसी 183 सीटें हैं, जिन पर तीन में से 1 चुनाव जीती.
2019 के चुनाव में बीजेपी का वोट शेयर
2019 के चुनाव में बीजेपी ने 435 सीटों पर उम्मीदवार उतारे और 224 सीटों पर 50 फीसदी से ज्यादा वोटों के अंतर से जीत हासिल की. वहीं, 2014 में यह आंकड़ा 136 था. यानी 2019 में 88 सीटों का इजाफा हुआ. इस बार प्रधानमंत्री मोदी का दावा है कि यह आंकड़ा और बढ़ेगा. मतलब बीजेपी यह मानकर चल रही है कि 224 सीटों पर बीजेपी की पिछली जीत को रिपीट करेगी.
अगर 224 सीटों पर बीजेपी को जीत का यकीन है तो भी 370 का आंकड़ा अब भी दूर है. इसके लिए एक और ट्रेंड देख लेते हैं. 2019 में पार्टी 75 फीसदी सीट एक लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से जीती थी, यानी 210 सीटों पर पार्टी की जीत एक लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से दर्ज हुई. सिर्फ 10 सीटें ही ऐसी थीं, जिन पर वह 10 हजार वोटों के अंतर से जीती और 30 सीटों पर 10 से 50 हजार के अंतर से पार्टी को जीत मिली. हो सकता है पार्टी को ज्यादा वोटों के अतर से मिली जीत के आधार पर लगता है कि 2019 वाली सीटें हाथ में रहेंगी और 67 सीटें इसमें और जुड़ जाएंगी. अब सवाल है कि 67 सीटें कैसे जुड़ेंगी? इस पर राजनीतिक विशेषकों का मानना है कि अगर 72 सीटों पर बीजेपी का 5 प्रतिशत वोट शेयर बढ़े और विपक्ष का घटे तो 38 फीसदी सीटें बढ़ सकती हैं.
6 राज्य कर सकते हैं बीजेपी की राह आसान
एक्सिस माय इंडिया के सीएमडी प्रदीप गुप्ता ने कहा कि 6 राज्यों में पार्टी को अच्छे परफॉर्मेंस का फायदा मिल सकता है. उन्होंने बताया कि पश्चिम बंगाल, ओडिशा, महाराष्ट्र, बिहार, तमिलनाडु, कर्नाटक में अगर पार्टी का परफॉर्मेंस अच्छा होता है तो 370 का आंकड़ा हासिल करने की बीजेपी की राह आसान हो जाएगी. हालांकि, महाराष्ट्र और बिहार में स्थिति बदली है. प्रदीप गुप्ता ने कहा कि 2019 में शिवसेना बीजेपी के साथ थी, लेकिन इस बार पार्टी दो फाड़ हो गई और शिंदे गुट और उद्धव गुट में बंट गई है, जिसका पार्टी को नुकसान भी हो सकता है और फायदा भी.
बिहार में नीतीश कुमार भले ही बीजेपी के साथ वापस आ गए हैं, लेकिन जिस तरह वह बीच में पार्टी से अलग हुए और फिर लोकसभा चुनाव में बीजेपी को चुनौती देने के लिए तमाम विपक्षी दलों को इकट्ठा करके इंडिया गठबंधन बनाया, उसका क्या प्रभाव होगा. क्या नीतीश कुमार की उतनी ताकत है जो 2019 में हुआ करती थी. उन्होंने कहा कि सवाल ये भी है कि बीजेपी 40 में से 39 सीटें जीतने का प्रदर्शन रिपीट कर पाएगी. उन्होंने कहा कि अगर वह छह राज्यों में से दो- महाराष्ट्र और बिहार में पुरानी टेली को बरकरा रखे या बढा ले और पश्चिम बंगाल, ओडिशा, तमिलनाडु एवं कर्नाटक में पार्टी अपनी पफॉर्मेंस अच्छी करती है तो 370 का आंकड़ा प्राप्त कर सकती है.
क्या विपक्षी गठबंधन INDIA में बिखराव का मिलेगा फायदा?
जुलाई महीने में बीजेपी नीत एनडीए गठबंधन से मुकाबले के लिए विपक्षी दलों ने INDIA गठबंधन बनाया, जो बिखरने लगा है. गठबंधन में आपसी लड़ाई चल रही है. गठबंधन का अहम हिस्सा नीतीश कुमार ने बिहार में बीजेपी के साथ वापसी कर ली है. उधर, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी हैं. वहीं, लोकसभा चुनाव करीब हैं और दिल्ली के मुख्यमंत्री एवं आम आदमी पार्टी के सहसंयोजक अरविंद केजरीवाल ने हरियाणा विधानसभा चुनाव में अकेले उतरने का ऐलान किया है. ऐसे में आम चुनाव को लेकर उनका क्या रुख होगा वो आने वाले समय में ही पता चलेगा. गठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर चल रही खींचतान और अगर पार्टियां एकजुट होकर नहीं लड़ती हैं तो इसका फायदा बीजेपी को मिल सकता है.