नई दिल्ली: गुजरात के अमरेली जिले में स्थित गीर जंगल में शेरों की मौत का सिलसिला जारी है. पिछले 18 दिनों में 21 शेर की मौत हो चुकी है. वन विभाग के मुताबिक, 12 सितंबर के बाद दलखनिया रेंज में हुई ये मौत की वजह आपसी संघर्ष और अज्ञात बीमारी है. मौत की वजह खतरनाक वायरस भी हो सकती है. वायरस से तंजानिया में 1994 में 1000 शेरों की मौत हो गई थी.


एक अधिकारी ने कहा, ''गीर में शेरों की मौत की मुख्य वजह शेरों के बीच लड़ाई और लीवर-किडनी में संक्रमण है.'' वन विभाग के एक अन्य अधिकारी ने कहा कि दलखनिया के अलावा कहीं और ये मौतें नहीं हुई है.


उन्होंने कहा, ''वायरस के खतरे को देखते हुए समार्दी से 31 शेर को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है. सभी का चेकअप किया गया. सभी जरूरी कदम उठाए गये हैं.'' गीर में 12 सितंबर से शेरों की मौत का सिलसिला शुरू हुआ था. पिछले दो साल में गीर के जंगल में 84 शेर की मौत हुई है. कारणों का पता लगाने के लिए केंद्र सरकार ने एक कमेटी का गठन किया है.





शेर की मौत पर पिछले दिनों गुजरात हाईकोर्ट में एमीकस क्यूरी (कोर्ट मित्र) ने अपनी रिपोर्ट पेश की थी. उन्होंने कहा कि गीर सेंक्चुरी को और बड़ा करने की जरूरत है. रिपोर्ट के अनुसार, शेर के एक गुट को 260 स्क्वेयर मीटर विस्तार की जरूरत होती है. साथ ही रिपोर्ट में कहा गया कि शेरों के अप्राकृतिक मौत के मामले में दर्ज हुए केस को फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाया जाए.


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