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भारतीय विदेश सेवा के 22 पूर्व अफसरों ने आतंकवाद के मुद्दे पर फ्रांस के साथ भारत के खड़े रहने की तारीफ की

अलग-अलग देशों में भारत के राजदूत रह चुके 22 भारतीय विदेश सेवा के अफसरों ने पीएम मोदी के फ्रांस को दिए समर्थन की तारीफ की है.

नई दिल्ली: भारतीय विदेश सेवा के रिटायर्ड अफसरो ने एक बयान जारी कर इस्लामिक कट्टरपंथियों की तरफ से फ्रांस में किए गए हमले की निंदा की है. अलग-अलग देशों में भारत के राजदूत रह चुके 22 भारतीय विदेश सेवा के अफसरों ने पीएम मोदी के फ्रांस को दिए समर्थन की तारीफ करते हुए लिखा है कि फ्रांस और भारत के सम्बंध रणनीतिक रूप से हाल ही में काफी गहरे हुए हैं.

इस बयान में आगे लिखा गया है कि भारत में फ्रांस और राष्ट्रपति मेक्रों के खिलाफ हूए प्रदर्शन, भारत की इस कट्टरपंथी हमले के खिलाफ रुख और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की भावना के खिलाफ हैं. भारत इस कठिन समय में फ्रांस के साथ खड़ा हैं.

भारतीय विदेश सेवा के रिटायर अफसरों की तरफ से जारी इस बयान में लिखा गया है, इस्लामी कट्टरपंथियों की तरफ से फ्रांस में हाल ही में किए गए क्रूर आतंकवादी हमलों में बहुलतावाद और कानून के शासन के आधार पर सभी लोकतांत्रिक देशों के लिए निहितार्थ हैं.

फ्रांस, अपने इतिहास के कारण, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए गहराई से वचनबद्ध है. फ्रांस की मुस्लिम आबादी में राज्य और धर्म के साथ-साथ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बीच संबंध का एक बहुत अलग परिप्रेक्ष्य है. विचार करने के लिए मुख्य बिंदु यह है कि क्या धार्मिक न्याय को एक संवैधानिक लोकतंत्र में व्यक्ति की तरफ से बिना किसी प्रक्रिया के बिना एक प्रक्रिया के बिना स्थानीय न्यायशास्त्र में कोई स्थान नहीं होने के कारण एकतरफा तरीके से बाहर निकाला जा सकता है?

भारत ने व्यक्तिगत रूप से फ्रांस के राष्ट्रपति और फ्रांस के साथ एक देश के रूप में एकजुटता व्यक्त की है, जिसके साथ हमारे संबंधों ने हाल के सालों में रणनीतिक रूप से गहरा किया है. भारत दशकों से राज्य प्रायोजित आतंकवाद का शिकार है और आतंकवाद के मुद्दों के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील है. प्रधानमंत्री मोदी के तहत, भारत ने अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए अंतर्राष्ट्रीय और बहुपक्षीय एजेंडे पर अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के मुद्दे को एक खतरे के रूप में अंकित किया है.

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि दस्तावेजों में बार-बार परिलक्षित एक अंतर्राष्ट्रीय सहमति है जो किसी भी कारण से आतंकवाद का सहारा नहीं लेती है. इस संदर्भ में फ्रांस और राष्ट्रपति मैक्रों के खिलाफ भारत में प्रदर्शन उस अंतरराष्ट्रीय आम सहमति, सरकार की स्थिति और भारत और फ्रांस के बीच उत्कृष्ट द्विपक्षीय संबंधों के विपरीत हैं. भारत इस मुश्किल क्षण में फ्रांस के साथ खड़ा है और इस मुद्दे पर फ्रांस सरकार का पूरा समर्थन करता है.

इस बयान में जिन 22 अफ़सरों के हस्ताक्षर हैं वे हैं-

अजय स्वरूप, अजीत कुमार, अमर सिन्हा, अनिल के त्रिगुणायत, अशोक कुमार, भवसिटी मुखर्जी, जे.एस. सपरा, कंवल सिब्बल, लक्ष्मी पुरी, मोहन कुमार, ओ.पी. गुप्ता, पिनाक रंजन चक्रवर्ती, प्रकाश शाह, रूचि घनश्याम, सतीश चंद मेहता, शशांक, श्यामला बी कौशिक, सुरेश कुमार गोयल, वीणा सिखरी, विद्या सागर वर्मा, वीरेंद्र गुप्ता, और योगेश गुट्टा शामिल हैं.

आपको बता दें कि फ्रांस के नीस शहर में 29 अक्टूबर को चार्लि हेबदो के छापे पैग़म्बर का कार्टून लगाने पर शहर में आतंकी हमला हुआ था, इससे पहले नीस शहर में एक शिक्षक की तरफ से चार्ली हेबदो में छापे गए पैग़म्बर के कार्टून पर चर्चा करने के लिए शिक्षक की हत्या कर दी गयी थी. इसके बाद फ़्रांस सरकार ने अभिव्यक्ति की आज़ादी को ताक़त देने के लिए पैग़म्बर के कार्टून को सरकारी इमारतों पर लगाया था और शिक्षक को सरकारी सम्मान के साथ दफनाया गया था. इसके बाद दुनियाभर में फ्रांस के राष्ट्रपति मेक्रों के ख़िलाफ प्रदर्शन हुए थे. अब भारतीय विदेश सेवा के पूर्व अफसरों ने सार्वजनिक बयान जारी कर फ़्रांस के साथ खड़े होने को सही ठहराया है.

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