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कोरोना संकट पर सरकार को 24 नामचीन बुद्धिजीवियों ने लिखी चिट्ठी, विवाद हुआ तो बदला प्रस्ताव

संशोधित बयान में कहा गया कि राहत पैकेज के लिए संसाधनों के इंतजाम में टैक्स लगाने के अलावा दूसरे रास्ते भी खोजे जाएं.

नई दिल्ली: देश के नामचीन बुद्धिजीवियों ने सरकार को एक चिट्ठी लिखी है. इस चिट्ठी में कुछ सुझाव दिए गए हैं. लेकिन उसमें एक सुझाव ऐसा था जिस पर बखेड़ा खड़ा हो गया. अभिजीत सेन (अर्थशास्त्री), जयती घोष (अर्थशास्त्री), दीपक नैयर (अर्थशास्त्री), प्रणब बर्धन (अर्थशास्त्री), ज्यां द्रेज (अर्थशास्त्री), रामदास (रि. एडमिरल), राजमोहन गांधी (प्रमुख शिक्षाविद), रामचंद्र गुहा (इतिहासकार), हर्ष मंदर (सामाजिक कार्यकर्ता), निखिल डे (सामाजिक कार्यकर्ता) और योगेंद्र यादव अध्यक्ष, स्वराज इंडिया समेत कुल 24 बुद्धिजीवियों ने मिलकर सरकार को चिट्ठी लिखी. चिट्ठी को 7 सूत्रीय एजेंडा का नाम दिया गया.

22 मई को योगेंद्र यादव ने अपने ट्विटर अकाउंट पर इसे साझा किया. एजेंडे का नाम है- मिशन जयहिंद. इसका मकसद है लॉकडाउन से बुरी तरह प्रभावित मजदूरों, गरीबों की मदद औऱ अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना. लेकिन इस एजेंडे के 7वें बिंदु के भाग 1 पर बवाल मच गया. इसमें लिखा था कि- देश में या नागरिकों के पास मौजूद सभी तरह के संसाधनों (नकदी, रीयल इस्टेट, प्रॉपर्टी, बॉन्ड) को इस संकट के दौरान राष्ट्रीय संसाधन की तरह माना जाए. यानी संपत्ति का राष्ट्रीयकरण करने का सुझाव दिया गया.

जब सवाल उठे तो योगेंद्र यादव ने 23 मई को एक और ट्वीट कर एक नया बयान जारी किया जिसमें संपत्ति के राष्ट्रीयकरण वाली बात हटा दी गई. संशोधित बयान में कहा गया कि राहत पैकेज के लिए संसाधनों के इंतजाम में टैक्स लगाने के अलावा दूसरे रास्ते भी खोजे जाएं.

संपत्ति के राष्ट्रीयकरण वाले सुझाव से खुद इतिहासकार रामचंद्र गुहा भी सहमत नहीं थे. मगर संशोधित बयान आने के बाद उन्होंने कहा कि मिशन जय हिंद स्टेटमेंट में नया सुझाव 7.1 पूरी तरह से ठीक है और सभी किस्म के विवाद अब दरकिनार कर दिए जाएं.

जय हिंद मिशन के तहत देश के 24 नामचीन बुद्धिजिवियों ने जो 7 सूत्रीय एजेंडा दिया है उसमें सात प्रमुख मांगे हैं....

एजेंडा 1 प्रवासी मजदूर

* सरकार प्रवासी मजदूरों को 10 दिन में घर भेजने के इंतजाम करे.

एजेंडा 2 कोरोना मरीज और फ्रंटलाइन वर्कर

* कोरोना के लक्षण वाले मरीजों की मुफ्त जांच हो * फ्रंटलाइन वर्कर्स और उनके परिवारवालों की आर्थिक और स्वास्थ्य सुरक्षा का एक साल के लिए इंतज़ाम किया जाए.

एजेंडा 3 मुफ्त राशन

* राशन कार्ड धारी को 10 किलो अनाज, 1.5 किलो दाल, 800 ml तेल और 500 ग्राम चीनी हर महीने मिले * प्रमाण पत्र के आधार पर इमरजेंसी राशन कार्ड बने * हर स्कूल में सामुदायिक किचन बने

एजेंडा 4 नौकरी

* मनरेगा के तहत 200 दिन रोजगार मिले * शहरी इलाकों में 400 रु. प्रतिदिन के हिसाब से सबके लिए 100 दिन रोजगार का इंतजाम हो * लॉकडाउन में नौकरी जाने पर सभी जॉब कार्ड धारकों को मनरेगा के तहत 30 दिन का मुआवजा

एजेंडा 5 किसान और कर्मचारी

* EPF के तहत रजिस्टर्ड कर्मचारियों की नौकरी जाने पर मुआवजा मिले * खस्ताहाल कंपनियों को ब्याज मुफ्त लोन दिया जाए * किसानों को उनके ख़राब हो गई फसल और न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम पर बिक रहे उत्पाद का मुआवज़ा दिया जाए.

एजेंडा 6 ब्याज से मुक्ति

* किसानों और छोटे कारोबारियों के लिए और होम लोंस पर अगले तीन महीने के लिए ब्याज पर राहत दी जाए. * मुद्रा शिशु और किशोर योजना के तहत दिए गए क़र्जों में अगले छह महीने के लिए वसूली और ब्याज के लिए दबाव न बनाया जाए. * किसान क्रेडिट कार्ड पर अगले छह महीने के लिए ब्याज और वसूली से राहत दी जाए.

एजेंडा 7 राष्ट्रीय मिशन

* राहत पैकेज के लिए संसाधनों के इंतज़ाम में टैक्स लगाने के अलावा दूसरे रास्ते भी खोजे जाएं. * केंद्र सरकार राज्य सरकारों के साथ मिलकर अतिरिक्त राजस्व के कम से कम 50 फ़ीसदी हिस्से की ज़िम्मेदारी उठाए. * सभी तरह के ग़ैर ज़रूरी खर्चों और सब्सिडी पर पूरी तरह से रोक लगाई जाए.

अब देखना होगा कि बुद्धिजीवियों का ये 7 सूत्रीय एजेंडा सरकार को कितना मुफीद लगता है.

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