नई दिल्ली: चीन में कोरोना वायरस फैलने से हजारों लोगों की मौत हो चुकी है. ऐसे में भारत सरकार की नजर भी चीन में रह रहे भारतीय मूल के नागरिकों पर लगातार बनी हुई है. भारत सरकार ने सैंकड़ों भारतीय नागरिकों को चीन से वापस लाया जिसके बाद उन्हें दिल्ली और मानेसर में आईटीबीपी और सेना के कैंपों में रखा गया.


चीन से भारत लाए गए 248 लोगों को मानेसर कैंप में ऑब्जरवेशन में रखा गया था. इनमें से ज्यादातर छात्र थे जो चीन में पढ़ाई कर रहे थे. इन सभी लोगों के टेस्ट नेगेटिव आए हैं. पिछले 16 दिनों से इन लोगों को लगातार डॉक्टर्स की टीम और इंडियन आर्मी की निगरानी में रखा गया था. दिन में दो बार इनकी मेडिकल जांच होती थी.


इन सभी लोगों को मेजर जनरल रश्मी दत्ता के अंडर में रखा गया था. रश्मी दत्ता का कहना है कि ये काफी चुनौतीपूर्ण अभियान था. हर एक के ऊपर नजर रखनी पड़ती थी. अगर ठंड की वजह से भी किसी को जुखाम होता तो बिना चूक किए उन्हें अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में रखा जाता. इस बीच छह लोगों को जुखाम की शिकायत हुई जिसके बाद तुरंत ही उन्हें आइसोलेशन वार्ड में शिफ्ट किया गया. लेकिन अच्छी बात ये है कि सभी की मेडिकल रिपोर्ट नॉर्मल आई है. किसी को भी कोरोना वायरस के सक्रमण का खतरा नहीं है. इसलिए 248 लोगों को आज अपने घर जाने की इजाजत दे दी गई है.


कैंप में रह रहे पश्चिम बंगाल के एक छात्र ने कहा, "जब कोरोना वायरस का खतरा बढ़ा तो चीन में भारतीय दूतावास ने उनसे संपर्क किया. इसके बाद उनका एक ग्रुप बनाया गया और एयरपोर्ट से इंडियन आर्मी उन्हें कैंप में लेकर आई. इस कैंप में हमारी दो बार मेडिकल जांच हुई. अब हमें घर वापस घर भेजा जा रहा है."


एक अन्य व्यक्ति ने कहा, "चीन में कोरोना वायरस फैलने की वजह से लोगों में डर था. घर वालों से बात होती थी तो घर वाले बस यही कहते थे कि तुम जल्दी वापस आ जाओ. इंडियन आर्मी ने हमारी बहुत मदद की. आज हम बहुत खुश हैं. अपने देश आ कर हमें काफी सुरक्षित महसूस हो रहा है."


चीन से लाए गए लोगों के लिए गुरुग्राम के मानेसर में एक शिविर कैंप बनाया गया. चीन के वुहान शहर से एयर इंडिया के विशेष विमान से वापस लाए गए 248 लोगों को आज वापस उनके घर भेज दिया गया. इस काम में सेना के प्रशिक्षित विशेषज्ञ डॉक्टरों और स्टाफ की टीम लगातार जुटी रही. इन छात्रों में अब वायरस का कोई खतरा नहीं है. देश दोबारा लौटने पर सभी काफी खुश हैं.


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