SC ने अयोध्या सुनवाई समेटने के दिए संकेत, वकीलों से पूछा- कितने दिन में जिरह पूरी करेंगे?
मामले को सुन रही 5 जजों की बेंच की अध्यक्षता कर रहे चीफ जस्टिस रंजन गोगोई 17 नवंबर को रिटायर होने वाले हैं. इससे पहले कोर्ट को सुनवाई कर फैसला दे देना है. कोर्ट ने सभी पक्षों के वकीलों से पूछा कि उन्हें दलीलें रखने के लिए कितना समय चाहिए.
नई दिल्ली: अयोध्या मसले पर सुनवाई के 25वें दिन आज सुप्रीम कोर्ट ने इसे समेटने के संकेत दिए. कोर्ट ने सभी पक्षों के वकीलों से पूछा कि उन्हें दलीलें रखने के लिए कितना समय चाहिए. मामले को सुन रही 5 जजों की बेंच की अध्यक्षता कर रहे चीफ जस्टिस रंजन गोगोई 17 नवंबर को रिटायर होने वाले हैं. इससे पहले कोर्ट को सुनवाई कर फैसला दे देना है.
धवन के ब्रेक मांगने पर किया सवाल कोर्ट ने यह सवाल तब किया जब मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने शुक्रवार को ब्रेक दिए जाने की मांग की. कोर्ट ने कहा कि हम उस दिन किसी और से जिरह करने को कहेंगे. लेकिन धवन का कहना था कि इस तरह से उन्हें और उनके सहयोगियों को दूसरे वकीलों को सुनने का मौका नहीं मिल पाएगा.
जजों ने आपस में चर्चा की और पिछले 8 दिन से जिरह कर रहे धवन से कहा, "आप अपने सहयोगियों से चर्चा कीजिए. हमें एक शेड्यूल दीजिए. बताइए कि आपको बहस के लिए और कितने दिन चाहिए."
कोर्ट ने इसके बाद बाकी वकीलों से भी बताने को कहा कि वो कितने दिनों में अपनी बात पूरी करेंगे. कहा, "हम जानना चाहते हैं कि हमें फैसला लिखने के लिए कितना समय मिलेगा."
आज सुनवाई में क्या हुआ? सुन्नी वक्फ बोर्ड के लिए पेश वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने एक बार फिर जन्मस्थान को न्यायिक व्यक्ति की तरह पेश किए जाने का विरोध किया. उन्होंने कहा, "किसी जगह की परिक्रमा होने के चलते पूरी जगह को पूजास्थल मान लेना गलत है. इस तरह से ये सुनिश्चित किया जा रहा है कि कोर्ट मामले में कोई दखल ही न दे सके. पूरी ज़मीन को पूजास्थल बताना, उसे देवता या न्यायिक व्यक्ति साबित करना सही नहीं है. देवता का विभाजन कोर्ट भी नहीं कर सकता. यही कोशिश की जा रही है."
धवन ने आगे कहा, "मथुरा में कृष्ण जन्मस्थान है. उसे तो देवता का दर्जा नहीं दिया गया. अयोध्या में पूरी ज़मीन को पूजा की जगह बताने का मकसद दूसरे पक्ष को बाहर कर देना है. अयोध्या में ही 3 जगहों को भगवान राम का जन्मस्थान बताया जाता है. ऐसे में दावे से कुछ भी नहीं कहा जा सकता."
सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील ने विवादित जगह पर मंदिर होने के दावे का भी खंडन किया. उनका कहना था कि इमारत से जिन खंभों के मिलने का दावा किया जाता है, उनमें हिंदू देवताओं की आकृति नहीं बनी थी. कमल जैसी कुछ आकृतियों के आधार पर उसे मंदिर नहीं कहा जा सकता.
मध्यस्थता पर नहीं हुई चर्चा सोमवार को मामले की मध्यस्थता के लिए बनाए गए पैनल की तरफ से कोर्ट को एक चिट्ठी भेजे जाने की जानकारी सामने आई थी. इस चिट्ठी में बताया गया था कि कुछ पक्षकार बंद की जा चुकी मध्यस्थता प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का अनुरोध कर रहे हैं. माना जा रहा था कि आज कोर्ट में सुनवाई के दौरान इस पर चर्चा होगी लेकिन पूरा दिन न तो जजों ने, न किसी पक्ष के वकील ने यह मसला उठाया.