नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर से धारा 370 खत्म करने के अपने फैसले की दुनिया के देशों को समझाने की कवायद में विदेश मंत्रालय 25 राजनयिकों के एक समूह को सूबे के दौरे पर ले गया है. अधिकतर युरोपीय मुल्कों के राजदूतों वाले इस दल को दो दिनों में श्रीनगर और जम्मू में हालात को देखने और लोगों से बात करने का भी मौका मिलेगा.


कश्मीर दौरे का राजनायिकों का दूसरा मौका


विदेश मंत्रालय के मुताबिक आउटरीच प्रयास की कड़ी में 12 फरवरी को विदेशी राजदूतों के एक और समूह के लिए केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर दौरे का इंतजाम किया गया है. यह दूसरा मौका है जब विदेश मंत्रालय की मेजबानी में विदेशी राजनयिकों का दल जम्मू और कश्मीर की यात्रा कर रहा है. हालांकि, बुधवार सुबह कश्मीर पहुंचने पर राजनयिकों के समूह को मौसम के खराब मिजाज का भी सामना करना पड़ा. इसके चलते विदेशी राजनयिकों के बारामुला जाने का कार्यक्रम टालना पड़ा.


सरकारी बयान के मुताबिक विदेशी राजनयिकों को विभिन्न जातीय, धार्मिक और सामाजिक-आर्थिक समुदायों के युवाओं, स्थानीय व्यापारियों, राजनीतिक प्रतिनिधियों, नागरिक प्रशासन और मीडिया के नुमाइंदों समेत नागरिक समाज के प्रतिनिधियों से मिलने एक अवसर होगा. साथ ही विदेशी राजनयिक जम्मू-कश्मीर के सुरक्षा हालात का आकलन करने के साथ-साथ विकास कार्यक्रमों के क्रियान्वयन के बारे में भी जानकारी हासिल कर सकेंगे.


डल झील की तारीफ की


इस दौरे में शामिल अफगानिस्तान के कार्यवाहक राजदूत ताहिर कादरी ने स्थानीय कारोबारियों से राजनयिकों की मुलाकात के बाद ट्वीट कर कहा, "जम्मू-कश्मीर में निवेश की बहुत संभावनाएं हैं." कश्मीरी कारोबारियों ने विदेशी राजदूतों से सूबे में निवेश बढ़ाने का भी आग्रह किया. कादरी ने डल झील की खूबसूरती की तारीफ करते हुए कहा, "वेनिस की तरह यहां भी पानी के बीच स्थानीय हस्तशिल्प खरीददारी की सुविधा उपलब्ध है." अफगान राजनयिक ने कश्मीरी मीडिया प्रतिनिधियों से संवाद के बाद सूबे में इंटरनेट सुविधा बहाल करने की मांग को भी जाहिर किया. जिसके कारण पत्रकारों को खबरें भेजने में खासी मुश्किलें पेश आती हैं.


इन देशों के राजदूत हैं शामिल


आधिकारिक सूत्रों के समूह में विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले मिशन के 25 विदेशी प्रमुख शामिल हैं. दल में अफगानिस्तान, बुल्गारिया, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, चेक गणराज्य, डेनमार्क, डोमिनिकन गणराज्य, यूरोपीय संघ, फ्रांस, जर्मनी, गिनी, हंगरी, इटली, केन्या, किर्गिजस्तान, मेक्सिको, नामीबिया, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, पोलैंड, रवांडा, स्लोवाक गणराज्य, तजाकिस्तान, यूगांडा और उजबेकिस्तान के राजदूत शामिल हैं.


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