25th October History First Election In India: दुनिया में लोकतंत्र की जननी (mother of democracy ) कहे जाने वाले हमारे प्यारे वतन भारत में वैसे तो औपनिवेशिक काल से ही लोकतंत्र था. हालांकि बीच में सैकड़ों सालों की मुगलों की दासता और बाद में अंग्रेजों की गुलामी के बाद वह तारीख भी आई जब दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में अपनी सरकार चुनने की प्रक्रिया की शुरुआत हुई. वह तारीख थी 25 अक्टूबर 1951. इसी दिन देश में पहले लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया शुरू हुई जो करीब 4 महीनो में 21 फरवरी 1952 को संपन्न हुई. तब देश की आबादी 17 करोड़ थी.
उस रोमांच का अंदाजा लगाइए जब हाल ही में गुलामी की बेड़ियां तोड़कर आजाद हुए मुल्क के गरीब गुरबे तबके से लेकर हर आमो-खास ने मतदान में भाग लेकर अंग्रेजों के उस घमंड को चकनाचूर कर दिया था, जिसने भारतीय समाज में लोकतंत्र के दायित्वों को निभाने की क्षमता पर सवाल खड़े किए गए थे.
आइए 25 अक्टूबर 2023 की इस तारीख पर आज 72 सालों बाद हम देश के पहले चुनाव की खासियत के बारे में आपको बताते हैं. इसी तारीख पर शुरू हुए पहले लोकसभा के चुनाव ने अपने समापन के बाद भारत को पूरी दुनिया के लोकतांत्रिक देशों की कतार में लाकर खड़ा कर दिया था.
68 चरणों में एक साथ हुए थे लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव
15 अगस्त 1947 को आजादी के बाद 26 जनवरी 1950 को भारत गणतंत्र बना था. इसके बाद 25 अक्टूबर 1951 को देश में पहले आम चुनाव की शुरुआत हुई. तब राज्यों की विधानसभाओं और लोकसभा के चुनाव एक साथ शुरू हुए थे. लोकसभा की 497 और राज्यों की विधानसभा की 3283 सीटों पर हुई वोटिंग में 17 करोड़ 32 लाख 12 हजार 343 पंजीकृत मतदाताओं ने हिस्सा लिया. कुल 68 चरणों में वोटिंग हुई और प्रत्येक मतदाता पर केवल 60 पैसे का खर्च आया था.
कांग्रेस को मिला था बहुमत
क्योंकि उस समय कांग्रेस स्वतंत्रता संग्राम की आग में तप कर कुंदन बनकर निकली थी. इसलिए देशवासियों के जेहन में कांग्रेस के प्रति अटूट भरोसा था. इसलिए पार्टी ने 364 सीटें जीतकर बहुमत हासिल किया था. वहीं आजादी की सशस्त्र लड़ाई में भागीदार रही भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी भी 16 सीटें जीती थी और दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी.
85 फीसदी लोग थे अशिक्षित, इसलिए की गई थी विशेष व्यवस्था
खास बात यह है कि पहले चुनाव में जितने लोगों ने वोटिंग में हिस्सा लिया था उनमें 85 फीसदी लोग अशिक्षित थे. इसलिए पार्टियों और उम्मीदवारों के लिए चुनाव चिन्ह की व्यवस्था की गई थी. तब हर पार्टी के लिए अलग-अलग बॉक्स बनाया गया था जिस पर चुनाव चिन्ह अंकित होते थे. उस समय 2.12 करोड़ लोहे की पेटियां बनाई गई थीं और करीब 62 करोड़ मत पत्र छापे गए थे.
सुकुमार सेन थे मुख्य चुनाव आयुक्त
भारत के पहले मुख्य चुनाव आयुक्त सुकुमार सेन थे. उन्होंने मतदाता पंजीकरण से लेकर पार्टियों के चुनाव चिह्नों के निर्धारण के लिए योग्य अधिकारियों की नियुक्ति की थी. उस दौर में जब देश में तकनीकी विकास बहुत कम था और ट्रांसपोर्टेशन भी मुश्किल था, तब बैलेट बॉक्स और मत पत्रों को मतदान केंद्रों तक पहुंचना एक बड़ी चुनौती थी. हालांकि देश के पहले चुनाव की बात थी इसलिए हर तरह की राह अपनाई गई.
मणिपुर जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में स्थानीय लोगों को ठंड से बचने के लिए कंबल और बंदूक का लाइसेंस देने का लालच देकर चुनाव सामग्री को मतदान केंद्रों तक पहुंचाया गया था. लोकतांत्रिक प्रक्रिया में वही हमारा पहला कदम था जो आज भारत को दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के तौर पर स्थापित कर चुका है.