नई दिल्ली: टीकाकरण नीति के तहत सरकार ने निजी क्षेत्र के लिए 25 फीसदी कोटा आरक्षित किया है. लेकिन असल में 30 मई तक निजी केंद्रों में कुल खुराक का बमुश्किल 7.5 फीसदी हिस्सा ही मिला है. केवल 7 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में यह अनुपात 10% से ज्यादा है. कोविन एप पर 750 जिलों में से 80 जिले ऐसे हैं. देश के कुछ सबसे बड़े महानगरों में से केवल 25 जिलों में सभी निजी टीकाकरण का 54% हिस्सा है. आधे जिलों में निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी 1 फीसदी से भी कम है, खासकर ग्रामीण इलाकों में और पूर्वोत्तर में.


टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में, टीकाकरण में सबसे अधिक निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी (21%) दिल्ली में थी. इसके बाद चंडीगढ़ (15%), तेलंगाना (14%), महाराष्ट्र (13%), तमिलनाडु (12%), कर्नाटक (12%) और केरल (11.9%). टीकाकरण में निजी अस्पतालों का सबसे अधिक 44% हिस्सा बेंगलुरु नगर निगम (बीबीएमपी) का है. इसके अलावा बेंगलुरु, दिल्ली, हैदराबाद, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई जैसे बड़े शहरों का भी अधिक हिस्सा है.


रविवार सुबह 7 बजे की रिपोर्ट के अनुसार, देशभर में कुल 1.6 लाख से अधिक केंद्रों पर टीकाकरण अभियान जारी है. कुल 20.8 करोड़ डोज में से निजी क्षेत्र को लगभग 1.6 करोड़ डोज दी गई है. बुधवार तक देशभर में कुल 22 करोड़ 10 लाख से ज्यादा डोज दी जा चुकी हैं. इनमें से 17 लाख 56 हजार लोगों को पहली डोज दी गई है और 4 लाख 53 हजार को दूसरी डोज भी दी जा चुकी है.


देश की 65 फीसदी से अधिक आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है. ये लोग पूरी तरह से कोविड टीकाकरण के लिए सरकार पर निर्भर हैं, इसलिए यहां सवाल उठता है कि निजी क्षेत्र को ज्यादा हिस्सा देने से क्या टीकाकरण ज्यादा होगा. 


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