नई दिल्ली: 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला मामले की सुनवाई कर रही एक विशेष अदालत ने पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा और द्रमुक नेता कनिमोझी दोनों को इस मामले में बरी कर दिया. अदालत ने इस मामले में अन्य 15 आरोपियों और तीन कंपनियों को भी बरी कर दिया है.


कोर्ट के 2जी घोटाले पर आये फैसले को तमिलनाडु की राजनीती में काफी अहम देखा जा रहा है. तमिलनाडु की वर्तमान राजनितिक हालात की अगर बात करें तो पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता की मौत के बाद से ही एआइएडीएमके के भीतर ही अलग अलग खेमे बंटने लगे. हालांकि अब ओपीएस यानि ओ पन्नीरसेल्वम और ईपीएस यानी एड़पाडी पलनीसामी दोनों के खेमे एक साथ आकर सरकार तो चला रहे हैं लेकिन वहीं दूसरी ओर शशिकला का खेमा यानी टीटीवी दिनकरन इसी सत्ता को भंग करने की ताक में है.


इसमें कोई दो राय नहीं कि जबसे 2जी घोटाले को लेकर डीएमके कटघरे में दिखी तब से डीएमके की छवि राज्य में तो दागदार हुई ही साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर भी उसके यूपीए के साथ गठबंधन के कारण कांग्रेस को भी खूब नुकसान उठाना पड़ा.


ऐसे में कोर्ट के इस फैसले ने सारे दागों को धो दिया है, जिसका फायदा डीएमके को 2021 में होने वाले तमिलनाडु विधानसभा में तो होगा ही साथ ही 2019 में भी डीएमके अच्छा कर सकती है जिसका सीधा फायदा उसे राष्ट्रीय राजनीति में होता दिख रहा है.


तमिलनाडु में वैसे तो हर पांच साल में सरकार बदलती रही है लेकिन 2016 में जयललिता ने सत्ता में दोबारा वापसी की थी डीएमके पर बार बार 2 जी घोटाले पर कटघरे में खड़ा कर ऐसे में इसका फायदा भी जयललिता को खूब हुआ. लेकिन अब न जयललिता है राज्य में और न ही एआइएडीएमके के पास ऐसा कोई चेहरा जिससे की जनता को अपनी ओर खींच सके.


ऐसे में अब जिस घोटाले को लेकर डीएमके पर बार बार कीचड़ उछला उससे तो अब डीएमके को राहत मिल ही गयी है. साथ ही अंदरूनी झगड़ा भी अब उतना नहीं रहा, कारण ये कि करूणानिधि ने बड़े बेटे अलागिरी को पहले ही दरकिनार कर, स्टालिन को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया हुआ है. अब करूणानिधि सक्रिय राजनीति में नहीं है ऐसे में उनकी जगह स्टालिन ने हूबहू संभाल रखी है. स्टालिन का चेहरा दागदार भी नहीं है. यहीं कारण है कि 2016 में वे जयललिता को टक्कर देते भी दिखे. ऐसे में कन्नीमोली का और ऐ राजा का 2जी घोटाले से साफ़ निकलना डीएमके को कई हद्द तक राहत दे चूका है.


2019 में लोकसभा के चुनाव है और तमिलनाडु में लोकसभा की 39 सीटें है और पुडुचेर्री की एक मिलाके कुल 40 सीटें. ऐसे में तमिलनाडु पर जीत हासिल करना, चाहे एनडीए हो या यूपीए, दोनों के लिए ही अहम है. हालही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने चेन्नई दौरे के दौरान डीएमके प्रमुख एम करूणानिधि से मुलाक़ात की थी. जिसके बाद ये कयास लगने शुरू हो गए कि क्या डीएमके बीजेपी के साथ गठबंधन करेगा? ये सवाल इसलिए कि 1999 में भी लोक सभा चुनाव के वक़्त कुछ ऐसा ही समीकरण देखने को मिला था जहां डीएमके ने बीजेपी के साथ तो एआइएडीएमके ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था. उस वक़्त डीएमके और बीजेपी के एनडीए ने 39 में से 26 सीटें हासिल की थी और कांग्रेस के साथ एआइएडीएमके ने 13 सीटें हासिल की थी. ऐसे में जानकार भी इस बात से इंकार नहीं कर रहे हैं कि में दिखी पीएम मोदी और डीएमके की तस्वीरों से कयास नकारे नहीं जा सकते. वर्तमान के हालत राज्य में यहीं बयान कर रहे हैं कि एआइएडीएमके की राह आगे चल कर मुश्किल हो सकती है और सबसे बड़ी जीत 2जी के तौर पर भी डीएमके को मिली है. खैर राजनीति यहीं तो है कि कब आपके दुश्मन दोस्त बन जाए.